कविता

‘मांगत हे तोर जवानी’ श्री महेन्द्र कश्यप ‘राही’ वरिष्ठ साहित्यकार कवि छाती(कुरूद) धमतरी छ.ग.

साहित्यकार परिचय-डाॅ. महेन्द्र कश्यप ‘राही’

जन्म- 25 सितंबर 1933 ग्राम तरेसर,थाना-धरसींवा,जिला-रायपुर(छत्तीसगढ़)

माता-पितास्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.श्री भुजबल सिंह कश्यप, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.श्रीमती बेला बाई कश्यप

शिक्षा- एल.ए.पी.(आयुर्वेद)

प्रकाशन- स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन

सम्मान- छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग सहित विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
उपाध्यक्ष-जनवादी लेखक संघ की भेल इकाई।

सम्पर्क- ग्राम.पो.-छाती(कुरूद) जिला-धमतरी(छत्तीसगढ)

 

‘मांगत हे तोर जवानी’

मांगत हे तोर जवानी
बस दु झन के गुर्बानी
ए महानदी के पानी।

महतारी ले बेटा मांगत
बहिनी ले दे भाई
तिरिया के सिन्दुर चाहिए
लइकन के मुस्काई
बलिदान के बेरा आगे जागौ रे अभिमानी।

बस दु झन के कुर्बानी
राजवंश के लगे दांव हे
बांचे के रस्ता नइए
राजनीति के रंगे अखाड़ा में
ककरो सुन्ता नइए
बस्तर दुरूग सिहावा के नई बाचिस राम कहानी
बस दू झन के कुर्बानी

दाई बहिनी-तिरिया लेके
दान द्वार तैयार खड़े
छत्तीसगढ़ के सोनहा माटी
पर रोवत कस पड़े-पड़े
काबर कोनों झोंकत नइए चण्डी के अगवानी।
बस दु झन के कुर्बानी।

दु झन मर के इहां बनाथे
प्रान्त एक नांवा साथी
का छत्तीसगढ़ ए मानी में
नइए रखे हमार थाथी
जीना हे ते उठो मरे बर आग लगा दो पानी
बस दु झन के कुर्बानी।

ढकढक ले भइया के तन हे
भौंजी के मन सुसवाए
महतारी पूछत बेटी ला
नोनी तैं कस नई खाए
दिन भर करथव काम खेत में
रात ठाड़ लांघन रहिथव
सुरता नइए कतका दिन भैं
हमर देवारी ला आए

कहां सिरागे अमरित अइसन पेज पसैइया पानी हा।
कहां जुड़ागे छत्तीसगढ़ के आगी बरसत पानी हा

मांदर कस झन गाल बजावय
करना धरना सबला हे
सिंहनाद कस स्वर से सांथी
आगे बढ़ना सब ला हे
अपन गांव घर प्यारा हे ते

अपन राग में तुम गाओ
जय छत्तीसगढ़ महानदी जय
छत्तीसगढ़िया जय जय हे।
अकड़ खड़े हो काम बनाही मचलत तोर जवानी है।
कहां जुड़ागे छत्तीसगढ़ के आगी बरसत पानी हा।

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