आलेख

जब लता मंगेशकर जी को डीनर पर.. अनुराग ठाकुर (चौहान) श्री मनाेज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छत्तीसगढ

”चंदैनी गाेंदा” इस मंच पर रहते हुए अनुराग ठाकुर चाैहान को देश के कोने कोने में कार्यक्रम देने के सुअवसर प्राप्त हुए जिसका  वे स्वयं इस बात की चर्चा करते हुए कहती है कि कार्यक्रम तो अनेको दिए किन्तु कुछ कार्यक्रम उपलब्धियाँ है जीवन की जैसे दिल्ली के अशोका होटल का कार्यक्रम ।
जहाँ उस वक्त कार्यक्रम देने के लिए न केवल लोगों की कतारे थी बल्कि एक घन्टे के कार्यक्रम देने के लिए अच्छी खासी रकम अदा करनी होती थी ऐसे स्थान पर इस मंच को आमन्त्रित किया गया था और आप सभी को यह जानकर अचरज होगा कि इन्हे समय तो एकघन्टे का ही दिया गया था किन्तु छत्तीसगढ़ के सरस लोकगीतो व लोकनृत्यों ने वो समा बांधा कि तीन घन्टे कब गुजर गये ना मंचस्थों काे पता चला ना आयोजको को और न ही दर्शको को !
इसी मंच के सौजन्य से 1982- 83 में पॉलिडोर कंपनी ने छत्तीसगढ़ी गीतों के रिकार्ड बनवाये जिसमें दीदी ने मस्तुरिहा जी के साथ बखरी के तुमा नार बरोबर मन झूमरे .. गीत गाया जिसने एक लम्बे समय तक किसी भी छत्तीसगढ़ी गीत के सर्वाधिक बिक्री का रिकार्ड बनाया !इसके अलावा उनके कुछ यादगार गीत – मगनी म मागे मया नी मिले..,पान ठेला वाला..,मन के मिलौना मिलत नई हे..,मन डोले रे माग फगुनवा..,संगी के मया जुलुम होगे..,मोर गंवई गंगा हे इत्यादि !
इन गीतो से पहचान बनने के बाद उनके अनेक कैसेट आये ! गर्व कि हम उस कांकेर के वाशिंदे हैं जहां अनुराग ठाकुर चाैहान ने अपना पूरा समय शिक्षा क्षेत्र के साथ बिताया । स्वर्णिम अतीत के इस फाेटाे में स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी को खैरागढ संगीत वि.वि. के दीक्षांत समाराेह में तब खाना परोसते हुए।आज भी और हमेशा याद दिलाते रहेंगे।

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