हिंदु धर्म में विवाह एक पवित्र संस्कार होता है। विवाह के ही संस्कारों में पाणिग्रहण मुख्य होता है,जिसमें वर के कंधे पर पड़े सफेद दुपट्टे मे वधु की साड़ी का पल्लू बांध दिया जाता है,इसे ही गठबंधन कहा जाता है। त्रेता युग में यह भगवान राम के काल से चली आ रही है,सीरियल में भी आपने देखा होगा कि राम सीता की जोड़ी विवाह के समय कैसे दुपट्टा साड़ी बांध दिया जाता है।इसी से मान लिया जाता है कि अब एक दूसरे के साथ जुड़ चुके हैं। इसी पल्लू में जहां बांधा जाता है सिक्का,चावल,पुष्प,हल्दी भी रख कर बांधा जाता है। सिक्का जहां धनधान्य का प्रतीक जिसमें दोनों का अधिकार होता है वहीं पुष्प खुशहाली का,हल्दी आरोग्य का प्रतीक है।
चावल जिसे अक्षत कहा जाता है, इससे संपूर्ण आयु की प्राप्ति और किसी भी चीज की कमी नहीं होना अक्षत का संकेत है। इस तरह पांच वस्तुओं के गठबंधन से एक दूसरे के प्रति अटूट प्रेम और आत्मीयता बने होने की बात कही जाती है। सच कहें तो वधु पक्ष के यहां पाणिग्रहण ही असल में विवाह है। इसके बाद वधू वर पक्ष के यहां संपूर्ण बारातियों के साथ आती है,जहां वर पक्ष के यहां रिसेप्शन का आयोजन होता है,जो विवाह की खुशी के मौके पर समाज एवं आमजनों को पूरे सम्मान के साथ आवभगत करते भोजन कराया जाता है।
आज हमारी शादी की भी सालगिरह है। अर्जुनी,धमतरी(छ.ग.) में आज के दिन हम भी गठबंधन में बंधे थे। हमें हर वर्ष आज के दिन पड़ने वाले शुभ मुर्हुत का याद आता है। हमारे दो बच्चे हैं, बड़ा डीकेश जायसवाल जो कि इस वर्ष 10 वीं में जायेगा जबकि छोटा फलक जायसवाल जो कि इस वर्ष 7 वीं पढ़ेगा। हमारी आजीविका का साधन कृषि एवं व्यवसाय है। इसके साथ लेखन मेरी प्रतिभा है। स्वतंत्र खुले विचार के लोग हमारा बड़ा परिवार है।