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सृष्टि के आरंभ में आज के दिन मध्यरात्रि को भोलेनाथ कालेश्वर के रूप में प्रकट हुए

– अंतर्राष्ट्रीय कथावाचकों की कथाओं से लोगों में जागृति बढ़ी।
(मनोज जायसवाल)
महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है। हमारे समाज में अधिकतर हिंदू भगवान शिव के उपासक हैं, इसलिए वे महाशिवरात्रि पर्व को काफ़ी उत्साह के साथ मनाते हैं। फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को यह पर्व हर वर्ष मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान भोलेनाथ कालेश्वर के रूप में प्रकट हुए थे। महाकालेश्वर भगवान शिव की वह शक्ति है जो सृष्टि का समापन करती है। महादेव शिव जब तांडव नृत्य करते हैं तो पूरा ब्रह्माण्ड विखडिंत होने लगता है। इसलिए इसे महाशिवरात्रि की कालरात्रि भी कहा गया है।भगवान शिव की वेशभूषा विचित्र मानी जाती है। महादेव अपने शरीर पर चिता की भस्म लगाते हैं, गले में रुद्राक्ष धारण करते हैं और नन्दी बैल की सवारी करते हैं। भूत-प्रेत-निशाचर उनके अनुचर माने जाते हैं।
ऐसा वीभत्स रूप धारण करने के उपरांत भी उन्हें मंगलकारी माना जाता है जो अपने भक्त की पल भर की उपासना से ही प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी मदद करने के लिए दौड़े चले आते हैं। इसीलिए उन्हें आशुतोष भी कहा गया है। भगवान शंकर अपने भक्तों के न सिर्फ़ कष्ट दूर करते हैं बल्कि उन्हें श्री और संपत्ति भी प्रदान करते हैं। महाशिवरात्रि की कथा में उनके इसी दयालु और कृपालु स्वभाव का वर्णन किया गया है। महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण की भी महत्ता है। कुछ संतों का कहना है कि रात भर जागना जागरण नहीं है बल्कि पाँचों इंद्रियों की वजह से आत्मा पर जो बेहोशी या विकार छा गया है, उसके प्रति जागृत होना ही जागरण है। यंत्रवत जीने को छोड़कर अर्थात् तन्द्रा को तोड़कर चेतना को शिव के एक तंत्र में लाना ही महाशिवरात्रि का संदेश है।
कथा वाचकों की कथाओं से जागृति
देश में जगह-जगह शिव महा पुराण की कथा कथावाचकों द्वारा किये जाने से भक्तिमय वातावरण निर्मित हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा के कथा वाचन से हिंदूओं में नया जोश और जागृति बढी है। गांव-गांव,शहरों में आजकल शिवालयों में रौनकता काफी बढ़ी हुई दिखायी दे रही है। अलसुबह से महिलाएं पूजा की थाल के साथ पूजा अर्चना में मग्न दिखती है तो मंदिरों में भक्तों की लाईनें भी। संत के बताए मुताबिक पूजा पाठ किए जा रहे हैं,विधिवत पूजा अर्चना से उन्हें लाभ भी मिलता दिख रहा है। कई जगह उपेक्षित मंदिरें भी आज जगमगा रही है तो बेलपत्र,शमी ,आंवले के वृक्षों की कद्र हर वर्ग कर रहा है तो पूरे विधान के साथ सुरक्षा का वचन के साथ जो कि पर्यावरण के लिए भी नेक कदम मानी जा रही है।
आज पुण्य स्नान छत्तीसगढ में कई शिवालय
आज महाशिवरात्रि पर छत्तीसगढ़ में जगह-जगह मेले का भी आयोजन किया जा रहा है,जहां श्रद्दालुओं के लिए भंडारे की भी व्यवस्था की जा रही है। छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहे जाने वाले राजिम त्रिवेणी संगम पर स्थित शिवालय में आज काफी भीड़ है,जहां मेले का भी देर शाम समापन होना है। श्रद्दालु पुण्य सलिला महानदी पर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। छत्तीसगढ प्रदेश में कई जगह ऐतिहासिक शिवालय है। बस्तर क्षेत्र में केशकाल के गोबरहीन शिवालय जिसके दर्शन को दूर दूर से लोग हमेशा आते हैं। इसके साथ ही इस क्षेत्र में कई जगह शिवालय है।

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