”सावन”
पावन महीना सावन आया।
शिव भक्ति का महीना आया।
भक्तों के मन में उमंग छाया।
बम भोले, बम भोले से जग गूंज गया।
सावन में हुआ,समुद्र मंथन।
शिव ने किया,हलाहल पान।
मतवाले कांवड़िया चले शिवधाम।
सतत करें,बम भोले,बम भोले गान।
धरती ने पहनी धानी चुनरिया।
संग-संग झूम उठे सारी बगिया।
झनक-झनक जाये गोरी की पायलिया।
खनक-खनक जाए हरी हरी चूडियां।
मतवाला महीना सावन का,
पंख फैलाये मोर बावरा नाचे।
इन्द्रधनुष सतरंगी छटा बिखेरे।
विरही मन में पिय मिलन की आस जगाये।
शक्ति ने शिव मिलन की आस लिए।
अखंड तपस्या का जोग लिया।
शिव ने शक्ति कीभक्ति की परीक्षा लिए।
जीत हुई शक्ति की,शिव शक्ति का मिलन हुआ।
प्यार भरा प्यारा सावन का महीना।
भाई-बहन के प्यार पर्व रक्षाबंधन का महीना। मायके के प्यार, बचपन का याद दिलाता सावन का महीना।
मनभावन,नेह बरसाता सावन का महीना।
“पावन महीना सावन आया,हरियाला सावन आया”