(मनोज जायसवाल)
-बहन को छोटे भाई अभिषेक साहू द्वारा पानी पिला कर नम आंखों से विदा करते उपस्थित लोग साक्षी बने
‘विदाई’ वो शब्द जिसकी वो परिकल्पना नहीं की थी मैंने। शादी की फिक्र जरूर! सच कहें तो उसकी विदाई का ये अंदाजा नहीं था। पिता मन में सोचता है, इससे तो शादी की फिक्र ही अच्छी थी। लेकिन मानव जीवन के संस्कार में जो कि हम बंधे हैं। वो बीते ही पल जब अपारं खुशी हुआ। हर तरफ उमंग,उत्साह खुशी का माहौल और इस बीच प्रतिबद्ध संस्कारों में सातों जन्म में सदैव साथ रहने की दुवाओं के साथ भरे मंच पर अक्षत की टीका के साथ उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दे रहे थे।
लेकिन आज पिता के अंतस पर गमों का पहाड़! लेकिन और लेकिन बेटी के संसार को बसाना है, दिल में इन बातों के साथ पिता सिसकते रोते हुए बेटी की विदाई कर रहा है। रब से दुआ बेटी हमेशा सलामत रहे।
ठीक ऐसा ही परिदृश्य आज छत्तीसगढ़ के कांकेर जिलांतर्गत चारामा विकासखंड के स्वर्गादपि धरा अरौद में चिंताराम साहू की सुपुत्री सौ.कां. पद्मनी (रेशमा) का शुभ विवाह ओमआशिष के साथ सम्पन्न होने के बाद आज विदाई में देखने मिला। जहां अंतस की स्थिति कि जैसे मछली बिन पानी तड़पती है,वैसे ही ना बताए जा सकने वाला दर्द जो बिना वाणी के कोई समझ ले तो अच्छा है। भरी दुपहरी में गांव गलियों में पड़ोस के बच्चों के साथ आंगन में चहकते हंसते बच्चों के साथ खेले और बच्चों को खिलाए। वो मधुर हंसी अब देखने नहीं मिलेगी।
ना सिर्फ पिता अपितु अरौद में पिछले पांच दिनों से जारी इस विशाल वैवाहिक समारोह जिसके सब साक्षी बने। रिश्तेदार सहित गांव की क्या महिलाएं क्या पुरूष! और बच्चे,बुर्जुग सबकी आंखे डबडबा गयी। सबकी आंखे नम.. किंतु इस भाव के साथ कि बेटी….बहन… हमें कभी नहीं भूलना। दिलों पर चौबीसों घंटे तुम विराजित रहोगी।
विदाई पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के लिए जैसे ही कार में विराजित हुयी जहां अरौद की धरती में सुनापन स्पष्ट दिख रहा था। कहां वो बीते समय जहां जिधर देखें उमंग उत्साहित लोगों की भीड़ और अब बेटी की विदाई के बाद सुनापन का अहसास। ठीक ऐसा ही माहौल कि गांव के प्रतिष्ठित चिंता राम साहू के ज्येष्ठ सुपुत्र चि. टिकेश्वर संग सौ.कां. चित्ररेखा का शुभ विवाह एक साथ पूरे उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ।
मैं स्वयं लड़की का चाचा बेटी की विदाई के समय अपने आंखों में आंसु रोक नहीं पाया। बेहद बहुत भावुक यह क्षण हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। बहन रेशमा को भारतीय हिंदु संस्कृति एवं परंपरानुसार छोटे भाई अभिषेक साहू द्वारा पानी पिला कर फफक कर रोते विदाई देने का साक्षी बनते सब नम आंखों से देख रहे थे।
”सशक्त हस्ताक्षर” के माध्यम बताते चलें कि सबको लेकर चलने वाले मानबाई चिंताराम साहू ने आयोजन में आये सभी अतिथियों का आभार जताया है,इसके साथ प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से इस बड़े आयोजन में सहयोग का भी आभार जताया है।