कविता

‘बादल पुलिस और नेता’ श्री सुरजीत नवदीप अखिल भारतीय साहित्यकार कवि धमतरी छ.ग.

साहित्यकार परिचय-सुरजीत नवदीप

जन्म- 01 जुलाई 1937 जन्म स्थान भावनदीन,पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान में)

माता-पिता:

शिक्षा- एम.ए.(हिन्दी)बी.एड.सी.पी.एड.

प्रकाशन-1. लाजवंती का पौधा(उपन्यास) 2. हवाओं में भटकते हाथ(काव्य संग्रह)3.कुर्सी के चक्कर में(काव्य संग्रह)4. शब्दों का अलाव 5. आंसु हंसते हैं..6. रावण कब मरेगा?(काव्य संग्रह) तथा देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गीत,गजल,हास्य व्यंग्य एवं कहानियों का प्रकाशन,रेडियो एवं दूरदर्शन में अनेकों बार काव्य पाठ तथा संचालन। अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों का संचालन एवं काव्य पाठ।

सम्मान- राज भाषा स्वर्ण जयंती समारोह भद्रावती(कर्नाटक) मेट्रो रेलवे कलकत्ता,छत्तीसगढ़ राष्ट्र भाषा प्रचार समिति रायपुर स्टील अथाॅरिटी आफ इंडिया(कलकत्ता) नेशनल थर्मल पावर तेलचर,अंगुल(उडीसा) छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति साहित्य सम्मान बेमेतरा, राष्ट्रभाषा कार्यान्वयन समिति सेन्ट्रल बैंक रायपुर,लायंस,लायनेस सिटी रोटरी फ्रैण्डस क्लब धमतरी तथा विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संगठनों द्वारा।

सम्प्रति-सेवानिवृत्त शिक्षक/स्वतंत्र लेखन

सम्पर्क- कालटेक्स पेट्रोल पंप के पीछे,डाक बंगला वार्ड, बस्तर रोड,धमतरी(छ.ग.)493773 मो. 9425516757

 

‘बादल पुलिस और नेता’

बादल का मन है,
जब चाहे
तब बरसे,
ना चाहे
तो
ना बरसे।

पुलिस अधिकारी ने
बादल को
धमकाते हुए कहा-
गाड़ी में
ओव्हर सवारी की तरह
बादलों को लेकर
कहां जा रहे हो?

चालान काटूंगा
कल तुम ही थे न
जो
बिना लाइसेंस दिखाये
उपर ही उपर
भाग रहे थे
अब तो जरूर
चालान काटूंगा।

बादल ने बहुत कहा
आज
छोड़ दीजिए,
पुलिस ने कहा
पानी वाली गाड़ी का
चक्का
उल्टा मोड़ लीजिए।
फिर नेता ने

बादल को डांटते हुए कहा-
बरसो, चाहे न बरसो,
झूठा आश्वासन
नेता की तरह
दे सकते हो
पांच साल तक
कोई तुम्हारा
कुछ नहीं बिगड़ सकता
तुम
जनता से
क्यों डरते हो?

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