साहित्यकार परिचय – विजय वर्धन
माता-पिता –स्वर्गीया सरोजिनी देवी, स्वर्गीय हरिनंदन प्रसाद
पत्नी – श्रीमती स्तुति रानी
जन्म – 10 .10. 1954
शिक्षा –बी .एस .सी .ऑनर्स, एम. एस. सी, बी. एड.
प्रकाशन – दो पुस्तकें प्रकाशित
1. मेरा भारत कहां खो गया
2. हमारा प्यारा भागलपुर
सम्मान- विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित
संप्रति -भारतीय स्टेट बैंक से अवकाश प्राप्त
सम्पर्क – लहरीटोला,भागलपुर,बिहार मोबाइल -9204564272
”मित्रता”
प्रवीण और पराग ने स्कूल एवम कालेज में एकसाथ शिक्षा पाई थी।दोनों के रिजल्ट भी अच्छे थे।दोनों ने सर्विस के लिए कई प्रतियोगिताओं की परीक्षा दी पर दुर्भाग्य से दोनों ही असफल रहे। अंत में दोनों ने बिजनेस आरंभ कर दिया।संयोग से दोनों का व्यवसाय खूब चलने लगा जिससे दोनों मित्रों का जीवन आनंद के साथ गुजरने लगा।
कोरोना के कारण दुर्भाग्य से पराग का व्यवसाय ठप पड़ गया क्योंकि उसने होटल खोल रखी थी जिससे उसकी दूकान पर एक भी ग्राहक नहीं आने लगा।पर प्रवीण की दूकान पर कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उसकी दूकान खिलौने की थी।प्रवीण से पराग की हालत देखी नहीं गई।उसने पराग से कहा मित्र,तुम मेरी दुकान को संभालने में मेरी मदद करो।मुझसे जो भी बन पड़ेगा मैं तुम्हारी सहायता करूंगा।पराग ने सहर्ष प्रवीण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।अब दोनों मित्रों का जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होने लगा।