साहित्यकार परिचय – विजय वर्धन
माता-पिता –स्वर्गीया सरोजिनी देवी, स्वर्गीय हरिनंदन प्रसाद
पत्नी – श्रीमती स्तुति रानी
जन्म – 10 .10. 1954
शिक्षा –बी .एस .सी .ऑनर्स, एम. एस. सी, बी. एड.
प्रकाशन – दो पुस्तकें प्रकाशित
1. मेरा भारत कहां खो गया
2. हमारा प्यारा भागलपुर
सम्मान- विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित
संप्रति -भारतीय स्टेट बैंक से अवकाश प्राप्त
सम्पर्क – लहरीटोला,भागलपुर,बिहार मोबाइल -9204564272
”समाधान”
रत्नेश का विवाह विशाखा के साथ दहेज ले कर तय हो गया। दोनों परिवारों का आना जाना और खुशियां मानना भी खूब होने लगा।सभी लोग इस संबंध से काफी खुश थे।किंतु कुछ दिनों के बाद रत्नेश ने अपनी एक प्रेमिका से कोर्ट मैरिज कर लिया जिससे विशाखा के परिवार वालों के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई।विशाखा के पिता तमतमाते हुए रत्नेश के घर आए और रत्नेश के पिता को खूब खरी खोटी सुनाने लगे।उन्होंने दहेज के रकम की भी मांग की।
जब बात सीमा के बाहर लांघने लगी तब रत्नेश के अनुज नीलेश ने सामने आ कर विनम्रता से कहा _श्रीमान आप नाराज न हों,भैया ने विशाखा से विवाह नहीं किया तो क्या उससे मैं विवाह करूंगा।इतना कहना था कि दोनों होने वाले संधियों की बांछे खिल गईं और दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा लिया।नीलेश ने भी अपने होने वाले ससुर जी का पैर छू कर आशीर्वाद लिया।