कविता काव्य

”सभ्य जन” श्रीमती पुष्पलता इंगोले वरिष्ठ साहित्यकार धमतरी छ.ग.

साहित्यकार परिचय-श्रीमती पुष्पलता इंगोले

जन्म- 24 दिसम्बर 1948 श्योपुर(स्टेट ग्वालियर) म.प्र.

माता-पिता – स्व. श्री जे.जी.इंगोले, स्व.श्रीमती स्नेहलता महाडीक। पति-श्री ए.आर.इंगोले(सेवानिवृत्त प्रोफेसर)

शिक्षा-एम.ए.(राजनीति)बी.एड.

प्रकाशन- छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल हेतु पाठ्यपुस्तक लेखन(9वीं,10वीं) सामाजिक विज्ञान,विभीन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, निबंध एवं कविताओं का प्रकाशन।

सम्मान- प्रांतीय दलित साहित्य समिति,जिला इकाई धमतरी।श्रीसत्य साई समिति एवं महिला मंडल रूद्री धमतरी द्वारा सम्मानित। वृहन्न मराठा समाज नागपुर द्वारा निबंध लेखन में प्रशस्ति पत्र। सदस्य- एनसीईआरटी,छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम।

सम्प्रति- सेवानिवृत्त प्राचार्य,दाजी मराठी उच्चतर माध्यमिक शाला, धमतरी

 

”सभ्य जन”

राजनीति पर खास राय
रखते हैं सभ्य जन
हर विषय पर,
दो टूक बात
करते हैं सभ्य जन।

 

कुविचारों की सड़ांध को
मखमली लहजे में
व्यक्त करते हैं सभ्यजन
विरोधियों की टोपियां ही नहीं
कपड़े उतरवाने में
संकोच नहीं करते हैं सभ्य जन।

 

सजी संवरी बहू बेटियों पर भी
फबती कसते हैं ये जन
सुन्दर सभ्रांत पर-स्त्रियों को
आवरण में भी
नेत्रों से
निगल लेते हैं सभ्य जन।

स्वार्थ हेतु सामाजिक दहलीजों को
लांघने में परहेज नहीं
करते हैं सभ्य जन
दूसरों की सफलताओं पर
व्यंग्य आलोचना का
बदसूरत पलस्तर लगाने में
माहिर हैं ये सभ्य जन।

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