कविता

‘पगडंडी’ डाॅ॑.अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार कवि सोहानी, बांका, बिहार

साहित्यकार परिचय –डॉ. अचल भारती

जन्म तिथि – 7 जनवरी. 1955ई.

शिक्षा- एम. ए. ( हिन्दी). एच. एम. डी. एस. ,विद्यावाचस्पति ( पी.- एच. डी.)

प्रकाशन- काव्य कृति, शंखनाद समय, सुरभि, धरोहर, साहित्य शिखर, आज की कविताएॅ , हरकारा आदि साहित्यिक पत्रिकिओं का संपादन। दर्जनों पत्र -पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में कविता, लघु कथा, व्यंग्य, आलेख, समीक्षा, संस्मरण आदि प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारित।

सम्मान – कवि कुल कलाधर, साहित्य कला विद्यालंकार, कवि- श्री, कवि रत्न, साहित्य रत्न, साहित्य शिरोमणि। संगठन -विगत चालीस वर्षों से अलग – अलग समय में आठ संस्था में मुख्य पदों पर कार्य ( साहित्य, पत्रकारिता, पर्यावरण,)

सम्प्रति – सेवा निवृत प्राचार्य, एल. पी. के. कॉलेज, बाराहाट, बांका, बिहार, 813105

सम्पर्क – ग्राम – सोहानी, पो.- मोरामा, जिला – बांका, बिहार 813107 दूरभाष -7549986602

 

 

”वो पगडंडी”

मुझतक आकर
ठहर जाती है

वह मुझसे पूछती है
मेरे होने का वजूद
और पगडंडी पर
मेरे न होने का कारण

उस पगडंडी पर
उगे जान पड़ते हैं
अनगिन पैरों के निशान
क्या उसमें
छलकता है उसका दर्द?
याकि
किसी अन्जान द्वारा
उसकी छाती पर
छोड़ा गया
न भूल पाने का चिह्न

जो भी है
जैसा भी है
पगडंडी होने का
एहसास है उसे
जो दे रही है आवाज
निरन्तर मुझे
पास आने व
अपने ऊपर चलने के लिए.

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