समीक्षात्मक आलेख

‘विजयादशमी’ पर्व और मेरा जन्म दिवस….अनुराग उपाध्याय,कांकेर

दशहरा पर्व और मेरा Birthday ,क्या संयोग है की देखते -देखते 50 वर्ष बीत गया संघर्ष करते – करते और 51 सीढी़ लगी है चढ़ने के लिए ..,,पर हर वर्ष Birthday मनाता हूँ एक नयी सोच और विश्वास के साथ ,,..
और लिखना भी खुद है Facebook में ताकि स्वार्थ की मित्रता मेरे किसी काम की नहीं क्योंकि मेरी बातों को मैं लिखकर एक माले में गुथ सकूं ….,,

लिखता रहूंगा रात भर ..,,की कुछ छूट गया है की कहीं कुछ लिखकर उसे ठीक कर दूं मेरी कोशिश रहती है कि बेनकाब करूँ ‘ झूठ ‘ का चद्दर ओढ़ने वालो का पर इतिहास गवाह है की सच सुनता कौन है पर अंत में जीत सत्य की ही होती है और आज विजयदशमी का पर्व है जो इस बात का साक्षी है की …,,असत्य पर सत्य की जीत ही की जीत होती है ”..!!
लिखने को तो काफी है पर …,,वक्त के बयार ने रोक लगा रखी है पर Social media के माध्यम से अपनी बातों को रखता रहूंगा की ..” कोई तो देखता है ” और उसका अस़र भी मुझे दिखती है पर्दे में ,,

” खैर ”….मुझे आपका स्नेह व आशीर्वाद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इसी तरह मिलते रहे की मै पुनः अपना आधा अर्धशतक इसी तरह हंसी मजाक करके बिताऊं ,..की 100 वें वर्ष का भी Birthday कुछ इसी तरह मना सकूं ..,,

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही ,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए !!

 

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