साहित्यकार परिचय- श्री राजेश शुक्ला कांकेरी
जन्म- 10 दिसंबर 1964
माता-पिता- स्व.कान्ति देवी शुक्ला/स्व.हरप्रसाद शुक्ला
शिक्षा- एम.कॉम, बी.एड.
प्रकाशन- कहानी (किरन),साझा संग्रह (काव्य धरोहर)
सम्मान-
सम्प्रति- व्याख्याता-शास.उच्च.माध्य.विद्या.कोरर, (काँकेर) छ.ग.।
संपर्क- 9826406234
‘ हम वंदेमातरम् बोलेंगे’
कण-कण में अब भारत के,बलिदानी नारे घोलेंगे।
हम वंदेमातरम् बोलेंगे , हम वंदेमातरम् बोलेंगे।
गूँज रही हैं फिज़ाँ में अब भी,वीर शिवा की हुँकारें।
दहाड़ें चंद्रशेखर की ,राणाप्रताप की ललकारें।
देश का कोना-कोना,गाता है सुभाष की गाथाएँ।
लक्ष्मीबाई और दुर्गावती की,चमक रही हैं तलवारें।
अब शत्रु की शक्तियों को हम , बंदूकों से तौलेंगे।
हम वंदेमातरम् बोलेंगे।
भूले नहीं हैं,भगतसिंह का,वो फाँसी पर चढ़ जाना।
भूले नहीं हैं,हँसते-हँसते, खुदीराम का मर जाना।
याद अभी है,जलियाँवाला बाग का वो खूनी खेल।
याद है मंगल पांडे का वो,मौत के मुँह में बढ़ जाना।
भारत की चूनर के धब्बे, रक्त से अपने धो लेंगे।
हम वंदेमातरम् बोलेंगे।
व्यर्थ नहीं जाने देंगे, हम वीरों के बलिदान को।
खुद मिटकर सहेज लेंगे,हम भारत की आन को।
अगर कहीं जो पड़ी जरूरत,तलवारें भी धारेंगे।
जान भी अपनी दे देंगे हम,अपने हिन्दुस्तान को।
पकड़ी राह राष्ट्रभक्ति की,राह से कभी न डोलेंगे।
हम वंदेमातरम् बोलेंगे।
कण-कण में अब भारत के,बलिदानी नारे घोलेंगे।
हम वंदेमातरम् बोलेंगे , हम वंदेमातरम् बोलेंगे।