लघुकथा

” मॉ बनाम मम्मी ” श्री लक्ष्मण शिवहरे वरिष्ठ साहित्यकार सीताबर्डी नागपुर महाराष्ट्र

” मॉ बनाम मम्मी “

“सुनो, मॉ आ रही है ।” मैंने कहा

“अरे, अभी महीने  भी नहीं हुए यहॉ से गई है, इतनी जल्दी फिर से सुनो जी उन्हें वापस फोन करके कह दो
अभी बच्चों की परीक्षा चल रही है,यहॉ गर्मी भी बहुत पड़ रही है
अगस्त में आए।”
मैं बीच में ही बोल पड़ा,” लेकिन वे स्टेशन आ गई है , मैं उन्हें लेने जा रहा हूॅ।” मैं स्टेशन की ओर निकल पड़ा।

कुछ देर बाद

“अरे,मम्मी आप, मम्मी के हाथ से झोला लेते हुए ,मेरी ओर देखकर ये बोली,
“आपने बताया नहीं,

“मम्मी आ
रही है।”

 

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