साहित्यकार परिचय-डाॅ. महेन्द्र कश्यप ‘राही’
जन्म- 25 सितंबर 1933 ग्राम तरेसर,थाना-धरसींवा,जिला-रायपुर(छत्तीसगढ़)
माता-पिता – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.श्री भुजबल सिंह कष्यप, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.श्रीमती बेला बाई कश्यप
शिक्षा- एल.ए.पी.(आयुर्वेद)
प्रकाशन- स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
सम्मान- छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग सहित विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
उपाध्यक्ष-जनवादी लेखक संघ की भेल इकाई।
सम्पर्क- ग्राम.पो.-छाती(कुरूद) जिला-धमतरी(छत्तीसगढ)
‘परनाम’
ए महानदी-अरपा पैरी के घाटी ला
हम कहिथन संगी, छत्तीसगढ़ जे माटी ला
ते माटी ला तुम अपन प्रणाम चढ़ा दव ना
ते माटी ला तुम, मोर प्रणाम सुना दव जी
सब झन जुरमिल करव आरती, सबके इही पोसैया ए
ये भारत माता के बेटी, हमर सरग कस छइयां ए
तुलसी के रामायण ए हर, सुर के कृष्ण कन्हैया ए
राधा मन कस मयां तुंहर, हिरदय भीतर बगरा लव ना
ए माटी ला संगी तुमन, अपन प्रणाम चढ़ा दव ना
गंगा जमुना लेवत लहरा, खारून अरपा पैरी मा
कचना धुरूवा अलख जगावत, महानदी के डेहरी मा
रामदरस बर ब्याकुल शबरी, जूठा बोइर गठरी मा
झालर घंट बजट राजिम मा, लोचन तुम्हु जुड़ा लव जी
ते माटी ला संगी तुमन, मोर प्रणाम सुना दव जी।
ये धरती के धान कटोरा, माटी नोहर सोन्ना ए
छत्तीसगढ़िया गुरतुर बोली, बेद मंत्र मन मोहना ए
रामसिया रामा, लखन सियाराम, जस बानी के गहना ए
तइसन ये धुर्रा ला बनके, भोला भसम लगा लव ना
ते माटी ला संगी तुमन, मोर प्रणाम सुना दव ना।