आलेख

माॅं महामाया देवी,रतनपुर (बिलासपुर)छत्तीसगढ़ (मनोज जायसवाल,संपादक सशक्त हस्ताक्षर)

-मोर आदि भवानी तुही ला मंय सुमिरंव माॅं
– देश के 51 शक्तिपीठों में एक जो माॅं महामाया देवी को समर्पित है
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से न्यायधानी बिलासपुर जो 116 किमी दूर स्थित है। और यहां से रतनपुर जो अंबिकापुर राजमार्ग पर 25 किमी पर स्थित पवित्र पौराणिक महामाया देवी की नगरी जो शक्ति पीठ है। देश में शक्तिपीठ उसे कहा गया है,जहां जहां देवी सती के अंग गिरे थे।
तारतम्य बताते चलें कि यहां देवी सती का दाहिना स्कंद गिरा था। बताया जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था। यह 51 शक्तिपीठाें में एक है, जो माॅं महामाया देवी को समर्पित है। कलिंग के महाराजा रत्नदेव ने 1050 ई. में रतनपुर में पहली बार पूजा अर्चना किये जाने की मनु श्रुति है। माॅं महाकाली,महा सरस्वती,महालक्ष्मी देवी स्वरूप देवी की सुंदर प्रतिमा विराजमान है,यहां यंत्र,मंत्र का केंद्र होने की मान्यता भी है।
मुख्य माॅं महामाया गर्भगृह से मात्र आधा किमी पर भैरव बाबा का मंदिर है। माना जाता है कि जब तक प्रथम रूप से भैरव बाबा का दर्शन यदि आप नहीं करते हैं तो माॅं महामाया देवी का दर्शन अधूरा है। आज भी रतनपुर में ऐतिहासिक किले एवं धरोहर उस काल के स्वर्णिम अतीत की स्वयं गाथा बयां कर रहे हैं। प्रति वर्ष शारदीय एवं चैत्र नवरात्रि में देश विदेश के श्रद्वालु भक्तों द्वारा हजारों की संख्या में आस्था की ज्योत प्रज्जवलित किया जाता रहा हैं।
ज्योति जलाने के लिए भी एक वर्ष पूर्व से ही बुकिंग करना पड़ता है। नवरात्रि पर्व पर पूरे नौ दिन से भी अधिक मेला लगता है। रतनपुर नगर में देश विदेश के भक्तों का युं तो पूरे साल भींड़ लगा होता है,लेकिन नवरात्रि पर्व पर यह भींड़ काफी बढ़ जाता है। माता के दर्शन को इतनी बड़ी लाईन वो भी बेहद शांतिपूर्ण तरीके से देखते बनती है। प्रदेश में यहां हमेशा पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था एवं माता रानी की स्नेह कृपा से अभी तक कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है। देश के अन्य शक्तिपीठ मंदिरों की तरह माॅं महामाया देवी शक्तिपीठ मंदिर के संबंध में कई किवदंतियां है।
रतनपुर से आगे यदि आप माता दर्शन को पास के दर्शनीय स्थल जाना चाहें तो अंबिकापुर के पहाड़ी पर स्थित माॅं महामाया एवं विंध्यवासिनी मां विराजमान है,जो हर भक्तों की आस्था का केंद्र है,इसे अंबिका देवी भी कहा जाता है, दर्शन का लाभ ले सकते हैं। धार्मिक के साथ पर्यटन की दृष्टि से यह छत्तीसगढ़ प्रदेश का ऐसा जगह है,जहां से आप नजदीक में मात्र आधा किमी पर लगे खुंटाघाट जलाशय वहीं इतने ही दूरी पर पहाड़ में स्थित रामटेकरी जहां राधाकृष्ण विराजमान है।
अभी नया बना सिद्वि विनायक गणेश मंदिर भी यहां से लगा है, वहीं कानन पेंडारी जु,अचानकमार अभ्यारण्य के साथ यदि आप यात्रा पर हों तो पेंड्रा मार्ग होते तकरीबन 100 किमी की दूरी पर अमरकंटक मां नर्मदा नदी का उद्गम क्षेत्र पहूंच कर आनंद ले सकते हैं। यदि आप संभागीय मुख्यालय बिलासपुर में हैं तो यहां तिफरा स्थित काली मंदिर,वेंकटेश मंदिर,शीतला मंदिर,मरही माता मंदिर सहित कई मंदिर है,जहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। रतनपुर तक जाने के लिए जो बिलासपुर से मात्र 25 किमी स्थित है,सड़क मार्ग से जाया जा सकता है। रेल की सुविधा बिलासपुर तक है।
हमारा किसी भी कथा कहानी के पीछे अंधविश्वास फैलाना,काल्पनिक बातें बताना ऐसा कोई उद्वेश्य नहीं है,अपितु जो बातें हमें मुखातिब होने पर बताया जा रहा है वही लिख रहे हैं।माता रानी के दर्शन को अवश्य पधारें।
जय माता रानी की।

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