बहूत निगेटिव बात करते थे ना! श्रीसत्य साई बाबा पर। कुछ चैनलों ने तो बौछार लगाई। ना जाने क्या कुछ नहीं कहा गया। मानव जीवन में भक्तों के प्रति चमत्कार की छोड़ बाहरी चमत्कारों पर अनेकानेक बातें कही गई। लेकिन बालपन से लेकर आज तक भक्तों की श्रद्वा कभी कम नहीं हुई। पुट्पर्ती में विश्वविद्यालय, जो गांव सुखे थे वहां स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था तो बड़े गंभीर बिमारियों का बिल्कुल निःशुल्क इलाज। लाभान्वित परिवार हमारे आसपास भी हैं। छ.ग. के नया रायपुर में बच्चों के दिल के निःशुल्क आपरेशन की सुविधा। इधर पुटृटपर्ती आंध्रप्रदेश में भक्तों की संख्या कभी कम नहीं हुई है। आश्रम में रहने से लेकर खानपान की सुविधा सुचारू रूप से संचालित है। सुरम्य वादियों में बसे भगवान के इस गांव में आकर हमेशा दूबारा आने को बाबा का प्यार आकर्षित करता है।
ठीक ऐसा ही शिरडी में जाने से महसूस होता है। बाबा के भक्तों का हम नाम नहीं गिना सकते, जिसने एक बार शिरडी का दर्शन किया तो बस प्रति वर्ष तो कईयों दूर के भक्त हर महीने जाकर बाबा के पुण्य दर्शन करते हैं। शिरडी वाले बाबा के लिए भी अतीत में जब बाबा थे तब क्या नहीं कहा गया लेकिन जिन्होंने निगेटिव बात किया आखिरकार वे स्वयं अंतिम समय में बाबा के भक्त बन गए। कुछ ……नहीं बहूत कुछ है दर्शन में तभी तो यहां प्रति वर्ष लगातार भींड़ बढ़ती जा रही है। जहां किसी भेदभाव के सभी लोग एक साथ दर्शन कर जीवन कृतार्थ कर रहे हैं। बाबा जी के दर्शन सिर्फ कुछ मांगने नहीं अपितु भक्तों की जरूरतें उनकी दुख दर्द उन्हें पता चल जाता है। तुम एक कदम बढ़ाओ …मैं दस कदम बढ़ाउंगा…….।