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‘हर प्रदेश के लोग मिलेंगे बस्तर में’ श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.

लखनपुरी,चारामा,कांकेर बस्तर संभाग का ऐसा जगह है,जहां पर देश के अमुमन जगहों के नागरिक मिल जायेंगे। लखनपुरी,चारामा जैसे जगहों पर कोई युपी,बिहारी वाले लोग कहीं ठेले खोमचे तो कहीं बड़े स्तर पर भी व्यवसाय कर रहे हैं। कई लोग तो स्थायी रूप से यहां बस गये हैं। छत्तीसगढ़िया वातावरण जिसके रग रग में पानी जैसा मिला लेने की बातें होती है,साथ ही यहां के उत्तम संसाधनों के साथ सस्ती रोजमर्रा और जीवनचर्या इन्हें आकृष्ट करती है।

मुख्य रूप से कई युपी,बिहार के लोग तो यहां घर द्वार बसा लिए हैं। कई नौकरीपेशा लोग यहां घर बना कर यहां से ही अपनी अन्यत्र ड्युटी दे रहे हैं,लेकिन अपने प्रदेश नहीं जाते। साल में कभी उनके पारिवारिक आयोजनों में ही इनका जाना होता है। हिन्दी का अपभ्रंश ही कहें छत्तीसगढ़ी भाषा को जिसे पढ़ना और समझना बड़ी बात नहीं है। जितने सीधे साधे सरल यहां के लोग उतना ही सरल यहां की भाषा और बोली। यहां का छत्तीसगढ़िया मानस अपनत्व बोध कराते बोली की मिठास किसे अपने से दूर जाने देगी। नये छत्तीसगढ़ राज्य महज 16 वर्ष बीत रहे हों लेकिन विकास के दौर में जमीन आसमान का फर्क स्पष्ट नजर आ रहा है,जो विकसित राज्यों से भी आगे निकलने की हसरते पाले आगे बढ़ रहा है।

एक समय था जब अन्य प्रदेशों से क्या बस्तर जैसे क्षेत्रों में कुछ लोग बेटी ब्याहना पसंद नहीं करते थे। एक आज का दौर है,जहां साहित्य कला जगत से लेकर हर क्षेत्रों में बस्तर जैसे क्षेत्रों की बेटियां राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम दर्ज करायी है। छत्तीसगढ़ का बस्तर आज भी जो यहां से रूबरू नहीं है,उन सबके लिए जीवन में जरूर एक बार बस्तर सैर की हसरतें पाले है। हो, क्यों ना! अतीत में भी बस्तर सबको बहुत कुछ देता आया और आज भी बहुत कुछ देता आ रहा है।  बस्तर आने पर हर कोई कुछ न कुछ ले जाने की तमन्ना रखता है। जिसमें प्रमुख रूप से यहां की कलाकृतियों के साथ आयुर्वेद महत्व की वनस्पतियां,कंद मूल आदि शामिल है। लेकिन सवाल यह है कि निचले स्तर पर ही देखें तो बस्तर को देने की सोच किसमें है?

सम्पूर्ण बस्तर टूर के लिए कम से कम तीन दिन के समय की जरूरत है। बस्तर का संभागीय मुख्यालय जगदलपूर के साथ दक्षिण बस्तर का जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा सहित राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के अनेक जगहों पर पर्यटकों के लिए प्राकृतिक सुरम्यताओं के बीच रेस्टारेंट,मोटल जैसा सैलानी चाहें उपलब्ध है। छत्तीसगढ़ की राजधानी मुख्यालय रायपुर से मात्र 120 किमी की दूरी से ही आप बस्तर प्रवेश कर सकते हैं।

 

 

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