साहित्यकार परिचय- मीरा आर्ची चौहान
जन्मतिथि-07/05/1972 बरदेभाटा,कांकेर
माता-पिता- श्री दरबारी राम आर्ची,श्रीमती मंगल आर्ची
शिक्षा-एम.एस-सी( रसायन) एम. ए.(हिन्दी,अंग्रेजी,लोक प्रशासन),बी. एड.,आयुर्वेद रत्न
प्रकाशन- स्वतंत्र लेखन,कविता,कहानी,लघुकथा,नाटक, प्रकाशित कृति-अंशु (काव्य संग्रह)
सांझा संकलन-1.नव्या 2.छग के छत्तीस रत्न, 3.सरस्वती, 4.प्रकृति, 5.नव लोकांचल गीत, 6.काव्य धरोहर।
1. आकाशवाणी जगदलपुर से कविताओं का प्रसारण।
2-1998 से 2008 तक लगभग200 राज्य स्तरीय मानस मंचों में नारी जागरण व समाज सुधार पर व्याख्यान
3- बेटी बढ़ाओ ,बेटी बचाओ के तहत अब 8 बच्चियों को स्वयं के व्यय से पढाया।
सम्मान-साहित्य के क्षेत्र में सम्मान-नारी शक्ति सम्मान (समता मंच रायपुर)
1.राज्य शिक्षक सम्मान 2018(राज्य पाल सुश्री अनुसुइया उयके द्वारा)
2. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् सम्मान2014.
3. मातोश्री रमाबाई सम्मान2011.
4-सावित्री देवी फूले सम्मान2007.
सम्प्रति-व्याख्याता…
सम्पर्क- – बरदेभाटा,कांकेर मोबाइल-9406108146
‘पूस’
पूस के आते ही
दुखु सिहर जाता
न ओढ़ने को कंबल
न पहनने को स्वेटर।
बरसों बाद पिछले
महीने रमिया के लिए
एक चांदी का
मंगलसूत्र खरीद
पाया था।
रमिया बहुत खुष थी
उसने सुखाने को
कपड़े
तार मंगाया था।
वह हमाली करता था
बिजली का मोटा तार
चुरा लाया।
पर यह क्या
अगले दिन
स्वयं को हवालात
में बंद पाया।
पत्नी मंगल सूत्र गिरवी
रख उसे छुड़ा लाई।
घर आते ही दुखु
बरस पड़ा।
जीवन में पहली बार
कंपकंपाती ठंड में
गरम कंबल ओढ़
चैन की नींद सोया था।
तुम हो कि
चैन ही छीन ली,
पूस भर तो
कंबल ओढ़ने
देना था।