आलेख

”जैनेटिक शोध” श्रीमती पुष्पलता इंगोले वरिष्ठ साहित्यकार,धमतरी छ.ग.

साहित्यकार परिचय-श्रीमती पुष्पलता इंगोले

जन्म- 24 दिसम्बर 1948 श्योपुर(स्टेट ग्वालियर) म.प्र.

माता-पिता – स्व. श्री जे.जी.इंगोले, स्व.श्रीमती स्नेहलता महाडीक। पति-श्री ए.आर.इंगोले(सेवानिवृत्त प्रोफेसर)

शिक्षा-एम.ए.(राजनीति)बी.एड.

प्रकाशन- छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल हेतु पाठ्यपुस्तक लेखन(9वीं,10वीं) सामाजिक विज्ञान,विभीन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, निबंध एवं कविताओं का प्रकाशन।

सम्मान- प्रांतीय दलित साहित्य समिति,जिला इकाई धमतरी।श्रीसत्य साई समिति एवं महिला मंडल रूद्री धमतरी द्वारा सम्मानित। वृहन्न मराठा समाज नागपुर द्वारा निबंध लेखन में प्रशस्ति पत्र। सदस्य- एनसीईआरटी,छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम।

सम्प्रति- सेवानिवृत्त प्राचार्य,दाजी मराठी उच्चतर माध्यमिक शाला, धमतरी

सम्पर्क- रिसाई पारा,धमतरी, जिला-धमतरी(छत्तीसगढ) माे. 942421204

 

”जैनेटिक शोध”

आज यह विचारणीय प्रश्न है की जेनेटिक शोध आगे बढ़ाई जाए या उसे नियंत्रित करने के लिए कुछ कानून बनाए जाए आप सोच रहे होंगे कि इजेनेटिक शोध क्या है ?हम हमेशा शोधों से सीखते हैं, अनुभव से सीखते हैं ,आपने कहां से शुरुआत की है जरूरी नहीं होता आपने कैसे सीखा और क्यों सीखा, यह जरूरी होता है हमेशा सफलता का ग्राफ ऊपर की ओर जाता है और असफलताएं हमें सफलता का द्वार दिखाती है क्या डिजाइनर बेबी बनाना आज हमारी आवश्यकता है।यह किससे संबंधित है माता पिता को प्राप्त करने के लिए इसका सहारा लेना चाहिए हमारा आम जीवन हमारा समाज प्रभावित होगा क्या इसे अपनाने से शिजोफ्रेनिया कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों से मनुष्य की भावी पीढ़ी मुक्त हो सकेगी और हम जो हैं इसे अपना कर सकेंगे।

जीन एडिटिंग पद्धति अनुसंधान का

श्रेय जेनिफरको जाता है इसे क्रिसपर भी कहते हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इसे भविष्य का चमत्कार कह रहा है जीन एडीटिंग से डिजाइनर बेबी की ख्वाहिश को वास्तविक था में बदला जा सकता है यह गंभीर और जटिल सवाल है इंसान अब जिन जिलों में एडिटिंग से मिक्सर गीत मिली कमियों को अधूरे पंखों बीमारियों को बदल सकेगा यह प्रश्न मानवता संबंधी भी है प्रकृति जैसे इंसान को करती है क्या उसमें बदलाव और परिवर्तन हम कर सकते हैं और करना उचित होगा

क्योंकि नैसर्गिक विकास में बाधा कभी भी अच्छी नहीं होती है आज मानव के पास एक जेनेटिक क्रांति लाने का प्रयास एक उलझा प्रश्न है सिर्फ श्रेष्ठ है खिलाड़ी शिशु समाज नीचे आजादी पर प्रश्न चिन्ह लगाकर जीवन की एकरसता को बढ़ावा नहीं देंगे क्या इस पर कदम उठाना उचित होगा क्या इससे टेक्नोलॉजी का व्यवसायीकरण हो जाएगा क्या यह लाभ और लोग इस समाज में पैदा कर देगा बहुत सी गंभीर बातें हैं जिस पर हम हमें सोचना होगा और एक अच्छे नियंत्रण के साथ इस नए विचार का स्वागत करना होगा तभी हम इसका सही ढंग से लाभ उठा सकते हैं और सकारात्मक भविष्य की ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं।

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