कविता

‘खुश हूं बहुत मैं’ डॉ. पुष्पलता मिश्रा साहित्यकार,लखनपुरी कांकेर छ.ग.

साहित्यकार परिचय- डॉ.  पुष्पलता मिश्रा

माता-पिता- -श्रीरामशरण शर्मा, श्रीमती गौरी शर्मा(पति-श्री ओमप्रकाश मिश्रा)

जन्म-  12 अक्टूबर 1963, रायपुर

शिक्षा- बीएससी,बीएएमएस

प्रकाशन- दूनिया मेरी, सुरभित पुष्पलता,आयुर्वेद और छत्तीसगढ़,अनुपम उपहार,तेरे चरणों में, विभीन्न समाचार पत्र,पत्रिकाओं में तकरीबन 200 आलेख प्रकाशित।

सम्मान – डॉ.अम्बेडकर सेवा श्री सम्मान। कोरोना वारियर्स सम्मान।

सम्प्रति-आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी,लखनपुरी(कांकेर) में सेवारत।

सम्पर्क-मेन रोड लखनपुरी तह.चारामा,जिला-कांकेर(छ.ग.)494336
मो.9406027106

 

‘खुश हूं बहुत मैं’

खुश हूं बहुत मैं, हवाओ को भी इसका एहसास है,
तभी तो उड़ा के जुल्फे मेरी, मेरे पास आ रही है।

खुश हूं बहुत मैं, नदियों को भी इसका एहसास है,
तभी तो लहरा के तरंगे, मेरे मन को भिगा रही है।

खुश हूं बहुत मैं, बागो को भी इसका एहसास है,
तभी तो रंग बिरंगे फूल, मेरे मन को लुभा रही है।

खुश हूं बहुत मैं, पहाड़ो को भी इसका एहसास है,
तभी तो उंचे खड़े पत्थर, चुपचाप मुस्कुरा रही है।

खुश हूं बहुत मैं, पक्षियों को भी इसका एहसास है,
तभी तो कोयल गा – गा के, गीत सुना रही है।

खुश हूं बहुत मैं, समुन्दर को भी इसका एहसास है,
तभी तो खा – खा के थपेड़े, नाच दिखा रही है।

खुश हूं  बहुत मैं, चांद तारों को भी इसका एहसास है,
तभी तो झिलमिला के तारे, रोषनी फैला रही है।

खुश हूं बहुत मैं, बादलों को भी इसका एहसास है,
तभी तो गरज – गरज के पानी बरसा रही है।

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