(मनोज जायसवाल)
– कवि मूलधन नहीं केवल ब्याज ही लौटाते हैं-सीताराम साहू
धमतरी(सशक्त हस्ताक्षर)। जिला हिंदी साहित्य समिति द्वारा कवि राजेंद्र प्रसाद सिन्हा का छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह अमरइया हे मनभावन विमोचन कार्यक्रम सार्थक स्कूल धमतरी में गरिमामयी आयोजन में संपन्न हुआ।
दीप प्रज्जवलित कर किया विमोचन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीताराम साहू सुप्रसिद्ध गीतकार कवि, कार्यक्रम की अध्यक्षता धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि सुरजीत नवदीप, डॉ एस. एस. ध्रुर्वेे, जिला हिंदी साहित्य समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर सरिता दोशी के विशिष्ट अतिथि मैं छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह ‘अमरइया है मनभावन’ का विमोचन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य डॉ एस. एस. ध्रुर्वे ने कहा की राजेंद्र प्रसाद सिन्हा की कृति सौंदर्य बोध से भरा हुआ है। उनकी दृष्टि सिर पर नैसर्गिक सौंदर्य पर नहीं पड़ी है बल्कि कवि मानवीय सौंदर्य के भी पारखी हैं । उन्होंने मानवीय संबंधों पर कई कविताएं लिखी हैं । परिवारिक और समाजिक मेल जोल आपसी प्रेम सहभागिता और समरसता का संदेश भी देते हैं। उन्होंने आगे यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा में काम करना चुनौतीपूर्ण है ऐसे चुनौती स्वीकारते हुए साहित्य लेखन बहुत बड़ी बात है।
डॉक्टर सरिता दोशी ने छत्तीसगढ़ी का काव्य संग्रह पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अमरइया हे मनभावन मैं ग्राम में जीवन की जीवंत झांकी है, छत्तीसगढ़ी गीत विलुप्त होने के कगार पर शब्दों का चयन, जैसे संगी सावन आगे , नैसर्गिक सौंदर्य अमरैया के गोद में खेला है, परहित के कामों में जीवन समर्पित है इसलिए उनकी रचनाओं में भी स्वस्थ समाज जागरूक समाज देश निर्माण की दिशा में काम करने के लिए युवाओं बुद्धिजीवियों पाठकों को संदेश दिये जो महत्वपूर्ण व तारीफे काबिल है।
सच्चाई पर आधारित कृति-सुरजीत नवदीप
सुप्रसिद्ध कवि सुरजीत नवदीप ने कहा कि राजेंद्र प्रसाद सिन्हा की रचना सच्चाई पर आधारित है। पेड़ ,फूल, नदी, फुलवारी का वर्णन है जीवन भी फुलवारी की तरह है । जीवन भी नदी की तरह आगे बढ़ता है। गांव की जीवंत संस्कृति का सजीव चित्रण के साथ परिवार बिना घर अधूरा होता है उचित प्रकार मानवीय संवेदना समरसता सामाजिक जीवन की ताना-बाना सौंदर्य बोध श्रृंगार सृजन का संदेश बिना लिखी पुस्तक भी अपूर्ण होता है परंतु आपने सभी को समावेश करते हो पूर्ण करने का भरपूर प्रयास किया है।
मूलधन नहीं केवल ब्याज ही लौटाते है
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं सुप्रसिद्ध गीतकार कवि सीताराम साहू ने कहा कि राजेंद्र प्रसाद सिन्हा की काव्य संग्रह सामाजिक सरोकार पर आधारित है। उन्होंने कई पुराने शब्दों को प्रकाश में लाया है । उपेक्षित पात्रों जैसे किन्नर पर भी रचना किए हैं। कविता में अध्यात्मिक संदेश मानवीय संवेदना समाज के नवनिर्माण में युवकों की महती भूमिका नशा पान से दूर गौ माता की सेवा नोनी बाबू ला पढ़ावव जैसी रचनाओं के साथ नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य का बोध होता है। क्योंकि खुश रहना सरल है सरल रहना कठिन है । उसी प्रकार रचनाओं में दिल से निकली आवाज है । जैसे दर्द में आंसू निकलता है उसी प्रकार उनकी कविताओं में पीड़ा का बोध है। मजदूर ,किसान, नारी, बेटी, किन्नर पर भी लेखनी चलाई है। हम जो लिखते हैं लोगों से लेकर लोगों को ही समर्पित करते हैं यही लोकार्पण है। मूलधन नहीं केवल ब्याज ही लौटाते हैं ।
दुख पीरा,ममता की अभिव्यक्ति-डुमन
कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे डुमन लाल ध्रुव ने कहा -राजेंद्र प्रसाद सिन्हा की कविताओं में भावानुभवों जीवन संघर्ष, दुख पीरा और ममता की मूरत को अभिव्यक्त किया है उनकी अभिव्यक्ति, भंगिमा , शब्द लय अर्थ लक्ष्य आदि शामिल है लोक परलोक को विमर्श को अपनी अंतर्वस्तु में शामिल किया गया है । दुनिया में सुख है तो उनके पीछे अलौकिक कारण भी हो सकते हैं।
माधुरी डंडसेना की कृतियों का भी विमोचन
तत्पश्चात सुश्री माधुरी डडसेना की सद्य प्रकाशित पांच कृतियों की विमोचन उपरांत जिला हिंदी साहित्य समिति द्वारा साल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया । कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर भूपेंद्र सोनी ने किया ।
ये थे उपस्थित
इस विमोचन समारोह कार्यक्रम में मुख्य रूप से मदन मोहन खंडेलवाल, कुलदीप सिन्हा, श्रीमती कामिनी कौशिक,विनोद रणसिंह, नरेश चंद्र श्रोतिय ,मदन मोहन दास, चंद्रहास साहू, तिलक लांगे, आकाश गिरी गोस्वामी, श्रीकांत सरोज,फुलेश्वर कुमार साहू, दयालाल सिन्हा, गगन सिन्हा, लाला राम मगेंद्र, कृपाराम गजेंद्र, प्रेम शंकर चौबे , नरेंद्र नंदे, नितिन कुमार उपस्थित थे।