कविता

‘वादा’ श्रीमती रानी शर्मा समाजसेवी, कांकेर छत्तीसगढ

 

‘वादा’ 

जब गम बहुत सताते हैं,
मुस्कुराते हैं,हंसते हैं, खिलखलाते हैं।
वादा जो किया है तुमसे,
हर वादा निभाते हैं।
यादें जब बहुत सताती है,
अंखियाँ बरबस बरस-बरस जाती है।
पानी के छींटों से, आंसुओं को छिपाते हैं।
वादा जो किया है तुमसे,
हर वादा निभाते हैं।

अब पूनम की चाँद,
चाँदनी रात बहुत जलाती है।
जब से तुम्हारा साथ छूटा,
जिंदगी ही हमसे रूठ गई।
वादा जो किया है तुमसे,
हर वादा निभाते हैं।

पल भर की जुदाई,
बरसों-बरस की लगती थी।
फिर,क्या खता हुई हमसे?
अकेले किस जहाँ में खो गये।
वादा जो किया है तुमसे,
हर वादा निभाते हैं।

कर्तव्यों की राह में,
अकेले ही चल रहे हैं।
जिंदगी की बोझ,
अंतिम क्षणों तक उठाते रहेंगे।
वादा जो किया है तुमसे,
हर वादा निभाते हैं।

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