कविता

”जय माँ सरस्वती” श्रीमती रानी शर्मा समाजसेवी,साहित्यकार कांकेर छ.ग.

”जय माँ सरस्वती” 

माँ सरस्वती के प्रकटोत्सव में ,
ऋतुराज बसंत आयें हैं।
चारों ओर बसंती छबी छाई है।

पहन पीत चुनरिया हर्षित धरती।
बह रही मंद,सुगंध, मकरंद लिए पवन।
कली-कली फूल बन मुस्काई है।
भौंरा मतवाला हुआ,गुनगुना रहा।

डाल-डाल कोयल कूक-कूक की तान छेड़ रही।
माँ सरस्वती के प्रकटोत्सव में
ऋतुराज बसंत आयें हैं।
माँ हंस वाहिनी, श्वेत पद्म पे विराजे।

बायें कर वीणा,दायें हाथ माला।
शीश मुकुट मणि साजे।
अज्ञानता का तिमिर जग से दूर कर।
ज्ञान का नव प्रकाश दे।

मन से कलुषित भावों को दूर कर।
सदचित आनंद दे।

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