साहित्यकार परिचय- श्रीमती रेणु ठाकुर भागलपुर,बिहार
जन्म- 20 जनवरी 1970
माता-पिता– श्री राम बिलास ठाकुर, स्व, मालती देवी
शिक्षा- बी,ए , शास्त्रीय संगीत बिशारद लाचारी नामक पुस्तक2008मे प्रकाशित।
प्रकाशन- आकाशवाणी भागलपुर के हिन्दी, वार्ता , हिन्दी कविता एवं लोकभाषा कवि गोष्ठी में सहभागिता 1990से पटना दुरदर्शन में लोकभाषा कविगोष्ठी में सहभागिता ।
सम्मान – अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच,भागलपुर बिहार द्वारा,कला श्री की उपाधि 6,4,1996।समय साहित्य सम्मेलन बांका द्वारा, महादेवी वर्मा कुल श्री की उपाधि 5,2,2002 को। राजमहल में डाक्टर अम्बेडकर जयंती समारोह के अवसर पर चादर से सम्मानित बहुत जगह चादर से सम्मानित ।
संपर्क – आनंद मार्ग कालोनी भागलपुर बिहार।
मो. 9934834293
‘कुछ न बोलकर भी जिंदा है’
सबको पता है
बहुत कम बोलना
किसी को भी गूंगा बना सकता है
जबकि बातूनी बनकर
बढ़ – चढ़ कर बोलना
किसी की जिह्वा को
कर सकता है गर्म
मस्तिष्क के तंतु को
कर सकता है ढीला
कम बोलने का घाटा
या अधिक बोलने का खामियाजा
लगभग मिलना तैयार है
जबकि चुप रहने पर
हाथ से बाजी निकलने
या वरदान प्राप्ति के आसार
दोनों ही दीखते हैं
पर सत्ता या सामन्त के खिलाफ
अधिक बोलना अच्छा नहीं होता
इसका डर किसी को भी पंगु बना देता है
सभी जानते हैं
आग से खेलने का मतलब
खतरों से खेलना ही है
वेबशी, गरीबी, लाचारी पर
बोलने से अच्छा है
नेतागिरी की हांक पर
कुछ – कुछ करते रहना
देश दुनियां को बताते रहना
कि आदमी कछ न बोल कर भी जिंदा है.