“सत्यपथ पर (यात्रा-संस्मरण)”डॉ. किशन टण्डन ”क्रान्ति” वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर(छ.ग.)
“सत्यपथ पर (यात्रा-संस्मरण)”
लेखक की कलम से…
सत्य को जानना आसान नहीं होता। उसे देखने के लिए गहराई में उतरना पड़ता है। जैसे कोई व्यक्ति एक स्विमिंग पूल में काँपते हुए स्प्रिंग बोर्ड से गहरे गोता लगाने का साहस करता है, और अपनी साँसों के लिए जूझते हुए और फिर हँसते हुए बाहर आता है; तब उसे बाहर की दुनिया ज्यादा चमकदार दिखाई देती है। सत्य को पाने की प्रक्रिया भी ठीक ऐसे ही है। अपने जुनून को पूरा करने के लिए अगर खुद के प्रति निर्दयी होना पड़े तो परवाह नहीं करनी चाहिए। याद रहे, ऐसे रास्ते चलने से ही बनते हैं।
इंसान को ऐसी किताबें लिखने की कोशिश करनी चाहिए, जो पाठकों के दिल-दिमाग को झकझोर कर रख दें। वो किताब उस कुल्हाड़ी की तरह हों, जिससे हम सदियों से उगे हुए झाड़-झंखाड़ को साफ कर सकें, और जिससे एक नई राह निर्मित हो सके। जिस चीज का वास्तविक और स्थाई मूल्य होता है, वही अन्तर्मन का उपहार होता है। आप माने या ना माने, लेकिन कई किताबें व्यक्ति के खुद के भीतर के अज्ञात कक्षों की चाबी (Key) की तरह होती है। ‘सत्यपथ पर’ यात्रा-संस्मरण एक ऐसी ही किताब है।
26 नवम्बर 2023, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले ग्रंथ को समर्पित संविधान दिवस। इस दिन नमन् सतनाम धाम यात्रा के 11वें पड़ाव- अमरटापू धाम में कलमकारों की गरिमामयी उपस्थिति में श्वेत ध्वज लहराते हुए जोड़ा जैतखाम के समक्ष ‘सत्यपथ पर’ यात्रा-संस्मरण लिखने का जो मैंने संकल्प किया था, वह सतगुरु के आशीर्वाद और आप सबकी शुभकामनाओं से पूरा हो गया है। मैं अत्यन्त हर्षित हूँ कि यह पावनतम कार्य छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के संस्थापक-अध्यक्ष रहते हुए पूर्ण कर सका।
“नमन् सतनाम धाम यात्रा” एक अनूठा आयोजन था, क्योंकि मेजबान और मेहमान दोनों हम ही होते थे। छत्तीसगढ़ कलमकार मञ्च के तत्वावधान में 7 अगस्त 2022 को आरम्भ हुई यात्रा 30 मई के बिलासपुर वार्षिक अधिवेशन से गुजर कर 26 नवम्बर 2023, अर्थात लगभग सवा साल तक चली। खुशकिस्मती से मैं अकेला व्यक्ति हूँ, जिसने समस्त सतनाम धामों की यात्रा में भाग लिया। अब तक प्रकाशित 12 राष्ट्रीय साझा काव्य-संग्रह के संकलनकर्ता भाई सुरजीत अत्यावश्यक पारिवारिक कार्यवश गिरौदपुरी धाम को छोड़कर बाकी सभी धामों की यात्रा में शामिल रहे हैं। कम से कम सात धामों की यात्रा में शरीक रहे साथियों की संख्या काफी अधिक है। इससे इस यात्रा की लोकप्रियता का अन्दाजा सहज ही लगाया जा सकता है। समय के साथ हमारे इस मिशन में नए-नए लोग जुड़ते गए और हम कामयाब हो सके।
कभी सोचता था कि इस जीवन में सभी सतनाम धामों में माथा टेकने जा पाऊंगा या नहीं। लेकिन छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के गठन और कलमकार साथियों के प्रेम और जज्बे ने इसे सम्भव कर दिखाया। मैं, उन तमाम सत्यपथी साथियों को हृदय से नमन् करता हूँ।
‘सत्यपथ पर’ मेरा प्रथम यात्रा-संस्मरण है। लेकिन पुस्तक प्रकाशन के क्रम में यह मेरी 52वीं कृति है। बहुत सम्भव है निकट भविष्य में बस्तर अंचल में किस्तों में गुजरे 14 वर्ष की प्रशासनिक सेवाओं के दौरान की यात्राओं पर यात्रा संस्मरण लिखूँ। ‘सत्यपथ पर’ यात्रा-संस्मरण के लेखन में कुछ जनश्रुतियाँ भी हैं। सम्भव है वे किसी लेखक के शब्द हों तो उन लेखकों को हृदय से धन्यवाद और नमन् करता हूँ। इस कृति के लेखन के दौरान हमारी ममतामयी माँ श्रीमती मोगरा देवी सत्गुरु को याद करती हुई बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस 6 दिसम्बर को ही चिर-विश्रान्ति प्राप्त कर ली। ममतामयी माँ का पुण्य स्मरण करते हुए यह कृति उन्हें समर्पित कर रहा हूँ। सत्गुरु उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।
अन्त में, ‘सत्यपथ पर’ यात्रा-संस्मरण के प्रकाशन की शुभ बेला में मैं, अपने सत्यपथी कलमकार साथियों, गुरुजनों, परिजनों, प्रशंसकों, दिल अजीज मित्रों एवं प्रकाशक वृन्द का कृतज्ञता सहित हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। सादर…।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस –
20 फरवरी 2024 ई. सन्
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति