कविता काव्य देश

”सीता क्यों बनूं” कु. माधुरी मारकंडे साहित्यकार‚धमतरी(छ.ग.)

साहित्यकार परिचय
कु. माधुरी मारकंडे
जन्मतिथि – 05.01.1995,बलियारा(धमतरी)
माता-पिता – श्रीमती दिलेश्वरी, श्री नारायणदास मारकंडे
शिक्षा – एम ए राजनीति विज्ञान, डीसीए
प्रकाशन – एक कविता संविधान नियमित लेखन

सम्मान – 2013 निबंध प्रतियोगिता में कलेक्टर द्वारा
सम्प्रति-
संपर्क-  ग्राम बलियारा पोस्ट भोथली जिला-धमतरी (छ.ग.) मो. 9329124373

”सीता क्यों बनूं”

सीता क्यों बनूं
सहनशीलता की मूरत में
स्वयं की पीड़ा क्यों बनूं

सीता क्यों बनूं
अबला बन
हृदय की वेदना क्यों बनूं मैं…..।

सीता क्यों बनूं
यहां न जाने कितने रावण है
इतने राम कहां से लाऊं

स्वयं संहार कर
मां काली
चंडी का अवतार बनू मैं….।

सीता क्यों बनूं
त्याग की मूर्त में
सबला क्यों बनूं……

स्वयं के हक लेकर
एक अधिकार बनूं मैं….।

इस दुनिया में
जन्म ले कर
पराई क्यों बनूं

सीता क्यों बनूं
स्वयं को गढ़
एक परिभाषा बनूं मैं….।

क्योंकि
मैं आज की नारी हूं….

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