नगरपालिकाध्यक्ष के लिए एक बार समाजसेवी मोहन सेनापति का नाम
(मनोज जायसवाल)
–समाजसेवा के क्षेत्र में इंटरनेशनल अवॉर्ड 2008 में हिंदुस्तान इंटरनेशनल होटल कोलकाता में प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें सेवा के क्षेत्र में गोल्डमेडल और प्रशस्ति पत्र शाल श्रीफल से सम्मानित किया जा चुका है।
कांकेर (सशक्त हस्ताक्षर)। समाजसेवा के नाम प्रत्येक कार्य पर अखबारी सुर्खियां बनने तो सोशल मीडिया पटल पर अपनी प्रशंसा से गदगद सियासी पार्टियों में पद धारित करने या चुनावी प्रत्याशी बनने तो अमूमन लोग बेताब रहते हैं,लेकिन शहर में एक वो नाम है,जिन्होंने हमेशा मानवता की सेवा को परमध्वेय माना।
मानवता की सेवा की खातिर उन्होंने अपने शिक्षक की नौकरी से सेवानिवृत्ति ली और वृंदावन चले गये। नगर में स्वच्छता मुहीम से लेकर तमाम धार्मिक,आध्यात्मिक आयोजन हुए जहां नगर के समाजसेवी मोहन सेनापति ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई हो।
नगर को सेवाभावी की जरूरत
कांकेर नगर का दुर्भाग्य ही कहिए कि वर्षों से इसका विकास वहां नहीं पहूंचा जहां पहूंचना चाहिए। यहां जो भी अध्यक्ष बनता रहा है, वो अपने वादे के अनुसार कार्य नहीं किया,जिसके चलतेर कांकेर नगरवासी विकास की बाट जोहते रहे।
कांकेर में एक मोहन सेनापति वो विभुति हैं, जो बरसों से बिना किसी दिखावा,प्रदर्शन मौन रूप से अपने कर्म में लगे रहे। न तो उन्हें फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी में दिलचस्पी रही और न ही दिखावा करने में कभी विश्वास नहीं किया।
एक व्यावहारिक सर्वे से पता चला है कि इस शख्स में सेवा के प्रति इतना जुनून है कि वो अपने वेतन का कुछ हिस्सा भी सेवा कार्य में लगाते आए हैं। अपने शिक्षकीय कार्य के अलावा सेवा में हमेशा तत्पर रहने वाले धन दौलत, ऐशो आराम की चिंता न करते हुए अपनें 90,000 ( नब्बे हजार) की नौकरी से भी केवल और केवल सेवा कार्य करने इस्तीफा दे दिया।
श्री सेनापति ने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर मानव सेवा हेतु वृंदावन चले गए। लेकिन वहां रहकर भी उन्हें चैन नहीं आया और कांकेर नगर के विकास के लिए अपने नगर कांकेर लौट आए। कभी गरीबों की सेवा,नारायण सेवा, वृद्धाश्रम में सेवा,सफाई दीदियों को रेनकोट देकर सेवा,पर्यावरण की सेवा,नगर के ऐतिहासिक डढ़िया तालाब की सेवा में कुछ गणमान्य जनों से संपर्क कर ऐसा अभियान चलाया कि देखते ही देखते कांकेर शहर की जनता,शासन,जिला प्रशासन,समाजसेवी,सर्व समाज के लोग इस डढ़िया तालाब बचाओ सफाई अभियान जो कि जल कुंभी से भरा हुआ था, इस अभियान से जुड़ने लगे।
सेनापति ने कभी भी आगे आकर इस पुनीत कार्य का श्रेय नहीं लिया बल्कि लोगों को सामने लाकर उन्हें श्रेय लेने का अवसर दिया , स्वयं कोई श्रेय नहीं लिया। कहावत भी है जो दिखता है वही बिकता है। सेनापति के किसी वीडियो,समाचार पत्र, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में सामने न आने के कारण जनता भी नहीं जान पाई कि अभियान को चलाने वाला कौन है?
जो सामने दिखा उसे ही श्रेय मिला और भरपूर प्रचार भी मिला किन्तु सेनापति को केवल कार्य पूर्ण होने से मतलब था न कि श्रेय लेने से। इस तरह जो व्यक्ति हमेशा दूसरों के बारे में सोचता है,कांकेर के विकास के बारे में सोचता है,ऐसे समाजसेवी ईमानदार व्यक्ति के नगरपालिका अध्यक्ष बनने से निःसंदेह कांकेर का पूर्ण विकास होगा।
हालाकि सुनने में ये भी आया है कि कांकेर की कुछ राजनैतिक पार्टियां भी सेनापति को अपने उम्मीदवार बनाने उनसे संपर्क में है। अब देखना यह है कि कांकेर नगर के विकास हेतु लोगों का बहुमुल्य मत किस ओर करवट लेता है। पर इतना कहना लाजिमी है कि ऐसे उम्मीदवार के नगर पालिका अध्यक्ष बनने से कांकेर नगर का चौतरफा बहुमुखी विकास संभव है।
वैसे तो मोहन सेनापति सेवा के क्षेत्र में इंटरनेशनल अवॉर्ड 2008 में हिंदुस्तान इंटरनेशनल होटल कोलकाता में प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें सेवा के क्षेत्र में गोल्डमेडल और प्रशस्ति पत्र शाल श्रीफल से सम्मानित किया जा चुका है। सौभाग्य की बात यह है कि पूरे भारत देश में अन्य राज्यों को छोड़ दे तो छत्तीसगढ़ राज्य से मात्र दो व्यक्तियों का इंटरनेशनल अवॉर्ड हेतु चयन हुआ था,जिनमें ज्योतिष मनीषी डॉ गीता शर्मा और मोहन सेनापति को एक ही दिन यह सम्मान कोलकाता में मिला था।
इसके अलावा भी ग्रामीण उत्थान एवं शैक्षणिक गतिविधियों पर महामहिम राज्यपाल के हाथों 2002 में मोहन सेनापति एवं अनुपम जोफर को कांकेर जिले से राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित कर सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के पुरस्कार से रायपुर में सम्मानित किया जा चुका है। पर्यावरण के क्षेत्र में पर्यावरण प्रबोध मंच के माध्यम से विगत 22 वर्षों से पौधा रोपण का कार्य अनवरत किया जा रहा है,जो केवल कांकेर शहर में ही नहीं अपितु अन्य गांवों में भी जाकर पौधारोपण का कार्य करते आ रहे हैं इसमें संजय मन्शानी,पप्पू अजय मोटवानी,नाथ बहनजी आईटीआई की प्राचार्य,मुरारी देवांगन,सुनील साहू ,राजभारती, टिंकेश्वर तिवारी जैसे समाजसेवियों का समय- समय पर सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है।
इसी तरह पॉलीथिन का उपयोग बंद करने श्री सेनापति प्रतिवर्ष 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर हजारों नग कपड़े की थैलियां बाँटने का कार्य स्वयं के खर्चे से करते हैं। इसी तरह सन 2002,2003 में सुराज समाज सेवी संस्था बनाकर गणमान्य समाज सेवियों को जोड़कर कांकेर नगर की गलियों में बहते पानी को रोकने हेतु ऑटो में वेल्डर को साथ लेकर सभी वार्डाे मोहल्लों की गलियों में नगरपालिका की टाइम नल की टोटियों को लगाकर पानी को व्यर्थ बहने से बचाने हेतु अभियान चलाया था।
जिसमें लालता प्रसाद झा सेवा निवृत्त प्राचार्य,श्रीमती शांति पंत धर्म पत्नी, जानेमाने वकील श्री प्रकाश चंद्र पंत,श्रीमती नीलम सुभाष परुथी,श्रीमती माधुरी विजय गुप्ता,श्रीमती अलका अशोक सोनी,सुनील साहू,मुरारी देवांगन,राजभारती,संजय मन्शानी,स्व. आर.आर. साहू,स्वर्गीय बिरझूराम साहू आदि अनेक गणमान्य जनों का सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ इस कार्य से प्रसन्न होकर कांकेर नगर के विकास पुरुष स्व. रवि श्रीवास्तव जी ने सेनापति को सम्मानित करते हुए पूरी टीम को बधाई दी थी।
2006 से सेनापति 5 जून अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस में वाहन उपवास स्वयं रखते हैं और लोगों को भी वाहन न चलाकर एक दिन के लिए साइकिल चलाने या पैदल चलने हेतु प्रेरित करते हैं, इसमें जन सहयोग संस्था के अध्यक्ष पप्पू अजय मोटवानी और उनकी पूरी टीम का सहयोग मिलता है । तालाब सफाई के अभियान में अरुण कौशिक, अविनाश नेगी, नरेश परिहार‚ धर्मेंद्र चतुर्वेदी,श्रीमती विजयलक्ष्मी कौशिक पार्षद उदय नगर, जयंत अटभैया पार्षद जवाहरवार्ड,अशोक राठी,केतन व्यास, राजेश शर्मा,श्रीमती ज्योत्सना गुप्ता,श्रीमती सरिता यादव,श्रीमती मीरा सलाम,श्रीमती प्यारी साहू,डॉ दुर्गेश अवस्थी,टेश्वर जैन,संयोग साहू, रामभोग बघेल, श्रीमती चित्ररेखा जैन,पंकज कौशिक,आमा पारा वार्ड,जवाहर वार्ड,संजयनगर वार्ड वासियों का भरपूर सहयोग एवं मार्गदर्शन मिला।
रेड क्रॉस के माध्यम से सुदूर बीहड़ गांवों में जाकर मच्छरदानी कंबल आदि वितरण के कार्य में भी सेनापति की अग्रणी भूमिका है,वृद्धाश्रम में जाकर रामायण पाठ,भजन कीर्तन करना,बालिका आश्रम में मोटिवेशन क्लास लेना,जिला जेल में जाकर सैकड़ों बंदियों को योग अभ्यास के साथ नैतिक सामाजिक मोटिवेशन करना,सेनापति की दिनचर्या में शामिल है । इसी तरह 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में सांसद,मंत्री,विधायक,जनप्रतिनिधियों,कलेक्टर, एस.पी.उच्च अधिकारी गण ,कर्मचारीगण, शिक्षक गण,बच्चों और गणमान्य लोगों को प्रोटोकॉल के अनुसार योग अभ्यास सहज और सरल तरीके से कराना, इसी प्रकार कांकेर की जनता के स्वास्थ्य लाभ के लिए योग विद्या साधना केन्द्र सिविल लाइन माहुरबंद पारा वार्ड के माध्यम से प्रतिदिन प्रातः 5 से 6.30 बजे तक निःशुल्क योग अभ्यास कराना जिसकी प्रशंसा कांकेर के कलेक्टर श्रीमान नीलेश महादेव क्षीरसागर ने स्वयं योग सेंटर में आकर की।
इसके अलावा गरीब बच्चों की पढ़ाई हेतु पाठयपुस्तक,गणवेश,शिक्षण सामग्री आदि की व्यवस्था करना, बच्चों में संगीत के प्रति रुचि उत्पन्न करने कांकेर ऑयडल,कांकेर मयूरी,कांकेर मोरनी नृत्य एवं गीत प्रतियोगिता आयोजित कर उन्हें मंच प्रदान करना,सन 1987 से सरस्वती कला मंच समिति रजिस्टर्ड समिति बनाकार भी शासन से किसी भी प्रकार का फंड या सहयोग न लेकर स्वयं के वेतन से बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित कराना , जिसमें पुराने से पुराने कलाकारों की प्रतिभा को उजागर कर उनको शाल एवं श्रीफल से सम्मानित करना , बच्चों,युवाओं,प्रौढ़ों,बुजुर्गों के लिए अलग,अलग संगीत का कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें पुरस्कृत करना भी सेनापति अपने वेतन,पेंशन से करते हैं।
बच्चों में खेल के प्रति रुचि पैदा कर मोबाइल से मुक्त करने, उनके साथ बच्चा बनकर कबड्डी,खोखो,फुटबॉल,वॉलीबॉल,हॉकी,क्रिकेट आदि खेलकर बच्चों को प्रोत्साहित करना,श्री सत्य साईं समिति के माध्यम से बच्चों एवं बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए निःशुल्क कोचिंग क्लास लगाकर अनुभवी एवं उत्कृष्ट शिक्षकों से उन्हें कोचिंग कराना,उन्हें प्रशिक्षित कर रोजगार हेतु तैयार करना आदि अनेक विकास के कार्यों में लगे होने के बावजूद भी श्रेय लेने स्वयं आगे न आकर लोगों को श्रेय का अवसर देना ,ये मोहन सेनापति जी की प्रवृत्ति है।
श्रीसेनापति कर्मचारियों के बीच भी बहुत लोकप्रिय हैं, वे छत्तीसगढ़ कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष के पद पर रहकर प्रधान अध्यापक संघर्ष मोर्चा के जिला सचिव,छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के जिला प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी का दायित्व निभाकर, कर्मचारियों की जायज मांगों,उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए सुरेशचन्द श्रीवास्तव,शिव सिंह भदौरिया,बीरबल गढ़पाले,श्रीरामशरण जैन,गोविंद सार्वा, देवकरण भास्कर आदि के सहयोग एवं मार्गदर्शन से शासन प्रशासन एवं उच्च अधिकारियों से कर्मचारी साथियों के अधिकारों के लिए निडर होकर आवाज उठाते थे।
इसलिए न केवल कांकेर शहर के कर्मचारी-अधिकारी अपितु पूरे जिले के साथ साथ राज्य के भी अधिकतर कर्मचारी-अधिकारी सेनापति के साहस एवं समर्पण हेतु उनके कायल एवं समर्थक हैं। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि कांकेर नगर के पालिका अध्यक्ष की कुर्सी हेतु सर्वाेत्तम उम्मीदवार निश्चित रूप से मोहन सेनापति ही हो सकते हैं किसी अन्य व्यक्ति में इतने अधिक गुणों का पाया जाना संभव नहीं है। …