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सफलता का मूल मंत्र-धैर्य एवं दृढनिश्चयी होना- सुधीर ठाकुर(जिला जेल अधीक्षक)

श्री सुधीर ठाकुर
(जिला जेल अधीक्षक)

शिक्षा व्यक्ति को संपूर्णता प्रदान करती है। इसकी व्यापकता इतनी है कि इसका उद्वेश्य हमारे सामने आत्मानुभूति के रूप में प्रकट होता है। यह अंतर्निहित दक्षता तथा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करने वाली प्रक्रिया है,जो आगे उन्हें समाजीकृत तो करती ही है,समाज में एक जिम्मेदारी नागरिक बनने के लिए मंच प्रदान करती है। इसलिए जरूरी है कि बालपन से शिक्षा पर जोर दिया जाये। शिक्षा की बदौलत आप अंतहीन आकाश को छुु सकते हैं। शिक्षा की इसी सोच को साम्य रखते देश में छत्तीसगढ के कांकेर जिलांतर्गत चारामा विकासखंड के लखनपुरी से लगे बोदेली जैेसे छोटे से गांव के होनहार लाडले सुधीर ठाकुर आज अपने शिक्षाकाल में बगैर किसी ट्युशन कोचिंग के पीएससी से चयनित होकर जिला जेल अधीक्षक के पद को सुशोभित किया है।

आईये हम उनके सशक्त पथ पर जानते हैं कि उनका जीवन शिक्षा को समर्पित है…..

जन्म – सुधीर ठाकुर का जन्म कांकेर नगर में 25 सितंबर 1996 को हुआ। दो भाई बहनों में छोटे हैं।

शिक्षा- सुधीर ठाकुर की प्राथमिक शिक्षा नगर के सेंट माईकल इंग्लिश हायर सेकेण्डरी स्कूल गोविंदपुर में हुई। हाईस्कल में मेरिट में स्थान बनाया। पिता की शासकीय सेवा होने के चलते अगली पढाई जगदलपूर में की। जहां उन्होंने 12 की पढाई गणित विषयों के साथ निर्मल विद्यालय में की। यहीं वर्ष 2019 में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय जगदलपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की। 2021 में थर्मल इंजीनियरिंग एनआईटी राउरकेला(उडीसा) से पोस्ट ग्रेजुएट किया।

प्रतियोगी परीक्षाएं
पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद यहां से दिल्ली जाकर युपीएससी की तैयारी करते रहे। यहां रहते छत्तीसगढ पीएससी प्री एक्जाम में सलेक्शन हुआ। सफलता कदम चुमती रही। अथक मेहनत और प्रयास से छत्तीसगढ पीएससी की मुख्य परीक्षा 2024 में उनका चयन हो गया। 29 नवंबर 2024 वह खुशी का दिन था जब पीएससी से चयनित होने के बाद उन्हें जिला जेल अधीक्षक के पद पर लिस्ट में दर्ज नाम देखी तो सुधीर ही नहीं परिवार,गांव,समाज में खुशियां ही खुशियां व्याप्त हो गई।

परिवार
एक बडी बहन एवं स्वयं एक भाई के सीमित परिवार में बालपन से ही शिक्षा के प्रति अनुकूल माहौल मिला। इनके पिता रमेशचंद्र ठाकुर जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र कांकेर में महाप्रबंधक पद पर सेवारत रहे जहां अक्टूबर 2022 में उन्होंने सेवानिवृत्ति ली। माता श्रीमती ऊषा ठाकुर उच्च शिक्षित गृहणी है,जिनके असीम स्नेह और इनकी दी शिक्षा के चलते आज सुपुत्र सुधीर ठाकुर को यह मुकाम हासिल हो पाया। शिक्षा काल में बडी बहन श्रीमती क्रांति ठाकुर केमरो जो वर्तमान में राज्य कर निरीक्षक के पद पर सेवारत हैं,इनके द्वारा भाई की शिक्षा दीक्षा में विशेष सहयोग रहा। प्रतियोगी परीक्षा के लिए हमेशा इनका मार्गदर्शन मिला। इनके पति डोमेश केमरो भी स्वयं शिक्षा जगत में चारामा स्थित गैंदसिंह महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के रूप में सेवा दे रहे हैं।

सम्मान- जेल अधीक्षक के पद पर चयन उपरांत ग्राम बोदेली के वार्षिक मेला आयोजन में मंच पर ग्रामवासियों द्वारा ग्राम गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया। अवसर पर कर्मचारी संघो द्वारा भी सम्मान किया गया। सुधीर ठाकुर ने मौके से युवाओं को सलाह देते कहा कि सिर्फ शिक्षा पर अपना ध्यान केंद्रीत करें। दिन भर मोबाईल और सोशल मीडिया से दूर रह कर मेहनत करें।

परिवार की बातें-
बालपन से सुधीर ठाकुर परिवार के लाडले सबकी बातों को मानने वाले सिद्वांतवादी रहे हैं। जिनका मुख्य उद्वेश्य शिक्षा के बल पर उच्च मुकाम हासिल करना था। देश में प्रतिभाओं का पोर्टल चैनल सशक्त हस्ताक्षर से मुखातिब होते धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा अन्य छात्र छात्राओं के लिए संदेश दिया कि सफलता चाहते हैं तो सत्य का मार्ग अपनाया जाना जरूरी है,धैर्य जरूर बना कर अपनी मेहनत करते रहें। एक ना एक दिन सफलता जरूर कदम चुमेगी।

बालपन की एक यादें बताया कि उनके दादा ने अंतिम स्थितियों में परिवार का अलविदा कहने पूर्व कहा था कि- अच्छा पढाई करना सुधीर! एक दिन जरूर जिला का मुखिया बनेगा। दादा की बातें हमेशा सुधीर आज भी जेहन में रखते हुए भावुक हो जाते हैं,काश दादाजी होते तो यह दिन वे भी देख लेते।

मुकाम आईएएस का
यही कारण है कि सुधीर की अगला पडाव आईएएस बनने का सपना है। युपीएससी की तैयारी पूरे लगन से करेंगे। जिस तरह से पायदान चढ रहे हैं,निश्चित ही इन्हें वह मुकाम हासिल होगा। ऐसा सबका कहना भी है।

 

 

 

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