अब मुझे भी नहीं पता कि कौन स्त्री कितनी सुंदर है। सुंदरता का मापदंड क्या है? कोई मापदंड है या चेहरे की सुंदरता को मापदंड मान लिया गया है। चेहरे को या उनकी काया को भी.. चाहे बालीवुड हो या अन्य प्रादेशिक कला जगत हो। सुंदरता के गुण गाते सुनायी दिखायी देते हैं। सुरत के साथ जरूर सीरत का जिक्र किया जाता है,लेकिन..किंतु परंतु करते सुरत के लोग कायल दिखायी देते हैं। आधुनिक युग तो अब काया भी हावी होते जा रहा है। उर्फी जावेद जैसी बाला में कोई बौद्विक टैलेंट तो नहीं दिखता लेकिन क्या कारण है कि मीडिया उन्हें कवरेज करती है। कई पोर्टल इस बात के खबर फैला रहे हैं कि आज वो मुंबई के इस इलाके में अल्प वस्त्र में नजर आई तो कल दूसरे इलाके में। कभी नहीं सुना कि उनकी कोई प्रतिभा भी है,जिसे वो शो करती हो। कई लोग चाव से चुपके चुपके इन पोर्टलों को टच कर निहार रहे होते हैं।
लेकिन जिस विषय पर मैं लिख रहा हूं निश्चित ही उसका जवाब भी मुझे किसी विदुषी महिला के शब्दों से सुनने मिल जहां उनका कहना है कि कलम धारित वो स्त्री जिनके हाथों में कलम है वो निश्चित ही सबसे सुंदर स्त्री है। साहित्य जगत परिवार में रह कर कभी चुप नहीं बैठने वाली समाज की विसंगतियों पर प्रहार करते आलेख और कविताएं गढने वाली स्त्री सबसे सुंदर है।