(मनोज जायसवाल)
‘सशक्त हस्ताक्षर’ ने छ.ग.प्रदेश नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा से मुखातिब होते हालचाल जानी।
कांकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन द्वारा 21 अगस्त 2023 से अपनी पांच सुत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जा रहा था,जिसे 13 सितंबर 2023 को प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री से सकारात्मक चर्चा एवं आश्वासन उपरांत जनहित में स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता को देखते हुए स्थगित कर दिया गया।
कर्मचारियों की मांगों के तारतम्य 1. छ.ग. स्वास्थ्य फेडरेशन के हड़ताल के दौरान बर्खास्त/निलंबित समस्त कर्मचारियों को बहाल कर समस्त कर्मचारियों/अधिकारियों/ब्रान्डेड एवं संविदा डाक्टर का नियमानुसार वेतन आहरण किया जाएगा। 2. ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक(एएनरएम/एमपीडब्ल्यू)नसिंग संवर्ग की वेतन विसंगति एवं चिकित्सकों के वेतनमान का निराकरण विभागीय प्रस्ताव अनुसार यथाशीघ्र किया जाएगा। 3. शेष 4 सुत्रीय मांगों के निराकरण के लिए विभाग को निर्देश जारी करेंगे। 4. हड़ताल के दौरान प्रभावित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा के कर्मचारी/अधिकारी के उच्च शिक्षा अध्ययन पर लगाई गई रोक हटाने के लिए निर्देश प्रसारित किए जाएंगे। 5. चिकित्सकों को खण्ड चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य दिए गए नोडल/प्रशासनिक प्रभार में यथावत रखे जाएंगे। 6. हड़ताल के दौरान कर्मचारियों/अधिकारियों के विरूद्व किए गए समस्त दण्डात्मक कार्यवाही शुन्य किए जासंगे। पर कार्यवाई का आवेदन सौंपा गया।
इस हड़ताल के तारतम्य बताना चाहेंगे कि प्रदेश के कांकेर जिले में ही 568 स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद एक ओर जहां सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में व्यवस्थाएं खस्ताहाल है,वहीं हड़ताल खत्म कर दिए जाने के बावजूद सरकार इनकी बहाली के लिए ध्यान नहीं दे रही है। 1500 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों की बर्खास्तगी पर कर्मियों ने सरकार के विरूद्व प्रदर्शन भी किया।
ये स्वास्थ्य कर्मी 21 अगस्त से हड़ताल पर थे, शासन द्वारा हडताल अवधि में काम पर लौटने के लिए दो बार नोटिस जारी किया गया लेकिन ये वापस नहीं लौटे। जिसके कारण बर्खास्त किया गया। प्रशासन का मानना था कि स्वास्थ्य सेवा बेहद आवश्यक सेवा में से एक है,इसमें अनियमितता बर्दाश्त नही की जायेगी।
संघ द्वारा आव्हान किए जाने के चलते अमुमन कर्मी हड़ताल प्रपत्र में हस्ताक्षर कर दिए। वो भी जिनके पास हड़ताल में जाने विषयक घरेलू परेशानियां थी। संघ का भी सम्मान और अपनी मांगे भी पूरी हो इस सोच के साथ समर्थन रहा।
किन्हें पता था कि ऐन वक्त में सरकार द्वारा बर्खास्तगी आदेश के बाद आने वाले समय में बहाली के लिए इतना भी जद्दोजहद करनी पडेगी।
इसके चलते अनेक कर्मियों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड रहा है। कई कर्मियों का होमलोन तो कार लोन उनके वेतन से बंधा हुआ है। वेतन के अनुसार भी घर का खर्च बंधा होता है,लेकिन वेतन अप्राप्त होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है।
संघ की महिला पदाधिकारी छ.ग.प्रदेश नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा से सशक्त हस्ताक्षर से बात करते हुए अपनी परेशानियां बयां की। जब से हड़ताल खत्म हुआ है तब से नेताओं,मंत्रियों से मुखातिब होने के साथ विभागीय संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं रायपुर से निरंतर संपर्क में बने होने की बात की।
लेकिन अंदरूनी बात भी चलने की बातें कानाफुंसी हो रही है कि बहाली भी प्रक्रिया के तहत होगी। अब आने वाले महीने के प्रथम सप्ताह में संभवतया विधानसभा चुनाव के आचार संहिता भी लगने वाली है। इसे लेकर कर्मी अधर में पडे हुए हैं।
क्योंकि मानना है कि आचार संहिता लगने के पूर्व बहाली नहीं हुई तो नये सरकार के बैठने के बाद तक समय लगेगा।
न्यायालय में याचिका दायर किये जाने के संबंध में बताया गया कि सामुहिक रूप से ऐसी कोई याचिका दाखिल नहीं किया गया है।
इसे देखते हुए जबकि हडताल खत्म किये जाने के बाद अब पूर्ववत कार्य पर लौटने की मिन्नते करने के बावजूद इस वक्त लगता है कोई सुनने वाला नहीं है।
यह हड़ताल चुनावी वर्ष के ऐन ऐसे वक्त रखा गया जहां हड़ताल को आचार संहिता के चलते लंबा भी नहीं खींचा जा सकता है। यही हड़ताल पांच महीने पूर्व भी होता तो मांग के संदर्भ हो सकता है स्थितियां कुछ और होती। गंभीरता से लोगों के स्वास्थ्य सेवा को सोचते हुए विचार कर अब कर्मी सिर्फ काम पर लौटने के लिए बहाली की मांग कर रहा है।
समय की कर्मी जिसके चलते अन्य कर्मचारी,संघ,संगठनों का समर्थन दिया जाता लेकिन चुनावी वर्ष में समय नहीं है। एक-एक दिन भारी पडते इस समय में कर्मियों की कामना यही है कि आचार संहिता पूर्व उनकी बहाली हो जाती।
अपनी सेवा में बहाली के लिए प्रतिदिन प्रदेश स्वास्थ्य संचालनालय विभागीय कार्यालय नेता मंत्रियों के बंगलों पर भले ही कर्मी चक्कर काट रहे हैं‚ बावजूद साथ ही इस छत्तीसगढ़ प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास जता रहे है कि भले ही उन्हें वर्तमान में गंभीर आर्थिक समस्याओं से जूझना पड रहा है,लेकिन निश्चित ही आचार संहिता पूर्व वे उनकी मांगों को पूरा करते बहाली करेंगे। उनके साथ प्रदेश के कका अन्याय नहीं करेगे ऐसा मानना है।