अपनत्व नहीं तो प्यार कहां?

अपनत्व नहीं तो प्यार कहां? मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.

(मनोज जायसवाल) लाख कहें वो तो हमारे दिलों में है,कहने वाली बात ही होगी। अपनत्व का भाव तो आभासी अहसासों में ही नहीं वरन भौतिक मुलाकातों में निहीत है। कहने के नाम बड़ी-बड़ी बातें जरूर पर यह कोरी मिथ्या के…

error: Content is protected !!