ऐसा लगता है कि दुवाओं की परवाह ही किसमें है?

दुवाओं की परवाह ही किसमें है? मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.

ऐसा लगता है कि दुवाओं की परवाह ही किसमें है?मंदिरों में तमाम वीआईपी हस्तियां मत्था टेकने फिर रहे होते हैं। गरीबों पर भाषण देते नहीं अघाते। दान के नाम पर किसी को दे दें तो तमाम सोशल मीडिया कैमरों के…

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