कहीं हम सुखी रहने के लिए दुःखी तो नहीं हो रहे? श्री मनाेज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.
आधुनिकता की दौड़ में हम तेजी से दौड़ रहे हैं,जहां भौतिक सुखों से सम्पन्न हैं।सीधे शब्दों में कहें तो हम भौतिक सुख साधनों वस्तुओं से सुखी हो गए हैं। यह भी कड़वा सच है, कि सुखी होने का जितना दंभ…