‘प्रेम संजीवनी है, नशा नहीं ” श्रीमती माधुरी कर वरिष्ठ साहित्यकार कवयित्री,रायपुर छत्तीसगढ़
”प्रेम संजीवनी है, नशा नहीं ” मेरे प्यार को तराजू में तौलो ना, बराबरी कभी न कर पाओगे तुम मेरे मनमोहन घनश्याम बनो, मैं राधा ही हूं। आओ सत्कर्मों के द्वारा रचनाएं मधुर मुरली बजाओ,सखी,सहेलियां आई है ना! एक बार…