बिटियाः’घर आंगन से विदाई तक’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छत्तीसगढ
(मनोज जायसवाल) लडकी जब ‘बाबुल’ के घर होती है‚ तब उसका स्थान बेटे से भी बढकर होता है। सुदुर जगहों में समाज के अंतिम पंक्ति में भी देखें तो वह ‘परिवार’ की धुरी होती है‚ जहां वह सर्वस्व जिम्मेदारियां निभा…