पत्र नहीं पिता चाहिए….. डाॅ. अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
पत्र नहीं पिता चाहिए घटना तीस साल पूर्व की है | ओमनाथ को अमेरिका गए पूरे सत्रह साल हो गये थे | वहाॅं वैज्ञानिकों की पाॅंती में उनका नाम शीर्षस्थ था | उन्हें यह भी ठीक – ठीक याद न…
‘समकालीन’ कविता में सार्थक, सत्यान्वेषी, मूल्य- बोधी एवं मंथन- कविता का उदय डाॅ. अचल भारतीवरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
साधारणतया अनुभूति के स्तर पर आदमी और उसके संसार की दोषपूर्ण व्यवस्था तथा उसके तत्संबंधित क्रिया- कलापों एवं यथास्थैतिक सुख- दु:ख जनित संबंधों आदि को, समकाल में उद्घाटित करने की विशिष्ट पद्यात्मक शब्द- कला ही समकालीन कविता है | इस…
”इन्तजार संस्कृति का”डाॅ.अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
”इन्तजार संस्कृति का” जब विचार तंग सीमा के पार खुसबूॅं की तरह फैलने लग जाएं हवाओं में दिशाओं में और मस्तिष्क की तमाम खाइयों को पाट उर्वर भूमी की तरह उगानें लगें मानवता की फसलें आदमी की नस्लें समझो फिर…
”अकेला शब्द” डॉ. अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
”अकेला शब्द” हॉं! अकेला शब्द निहत्था होता है उसे मारो मत ! उसे फेंको भी नहीं किसी गहरी खाई में गिराओ भी नहीं उसे किसी पहाड़ की चोटी से छितराओ भी नहीं उसे किसी समंदर की छाती पर तनि शब्द…
मैं शब्द हूॅं! डॉ. अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
( शब्द : एक उदघोष) मैं शब्द हूॅं तिरस्कृत फेंका हुआ युग- पथ पर सवार हूॅं इकलौता शब्द- शब्द की शक्ति है मेरा सुदर्शन मुझसे ही सॅंजता है सत्य सॅंवरता है सौन्दर्य संकल्प एक है मेरा संतुलित सृष्टि मैं शब्द…
”भीड़” डाॅं.अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
”भीड़” भीड़ के पास दिमाग नहीं होता बालू के शुष्क रेत की तरह होती है भीड़ भीड़ जीती है दिवालिएपन के बीच और मरती है रोज फिर बार – बार जी उठने का नाटक करती है भीड़ हर बार भीड़…
”गाथा, शब्द और अभिव्यक्ति की” डॉ. अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
”गाथा, शब्द और अभिव्यक्ति की” डाॅं.अचल भारती कल तक शब्द कैद था घुप्प अंधेरे में डाल दिया गया था भूत की तंग कोठरी में पहुॅंचा दिया गया था जल्लाद के बूचड़ खाने तक सॅंजा दिया गया था मठाधीशों…
”साफ आईने की तस्वीर” डाॅं.अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार कवि बांका,बिहार
”साफ आईने की तस्वीर” तुम्हारे खून में समाई गुलामी ने तुम्हें सबकुछ सह लेने को मजबूर किया है और तूने अपनी नियति पर जैसे कुछ न करने की कसमें खा ली है ‘ देखना मना है ‘ तख्त के पीछे…
‘कवि जीवन परिचय ”श्री कमलेश झा साहित्यकार नगरपारा भागलपूर,बिहार
साहित्यकार परिचय : श्री कमलेश झा जन्म : 01 मार्च 1978 जन्म स्थान नगरपारा भागलपुर माता,पिता: श्री कैलाश झा श्रीमती महाविद्या देवी शिक्षा : एम बी ए मार्केटिंग इलेक्ट्रॉनिक ग्रेड्यूएट प्रकाशन :नई सोच नई उड़ान काविता माला,पापा एक याद vol 1…
”सच में क्या मानवता जिंदा है”श्री कमलेश झा साहित्यकार नगरपारा भागलपूर,बिहार
साहित्यकार परिचय : श्री कमलेश झा जन्म : 01 मार्च 1978 जन्म स्थान नगरपारा भागलपुर माता,पिता: श्री कैलाश झा श्रीमती महाविद्या देवी शिक्षा : एम बी ए मार्केटिंग इलेक्ट्रॉनिक ग्रेड्यूएट प्रकाशन :नई सोच नई उड़ान काविता माला,पापा एक याद vol 1…