समाज-‘रोते जीवन बिता देना दुर्भाग्य’ मनोज जायसवाल संपादक ‘सशक्त हस्ताक्षर’ कांकेर छ.ग.
रोते जन्म लेना अभिशाप नहीं रोते जीवन बिता देना दुर्भाग्य (मनोज जायसवाल) दुनिया के हर जीव उसके वर्तमान जीवन में भोग कर लेता है, चाहे कुत्ता, बिल्ली हो या अन्य सभी जीव जंतु। कई जीव जंतु की उम्र बहुत अल्प…