समकालीन अचल भारती बांका

‘समकालीन’ कविता में सार्थक, सत्यान्वेषी, मूल्य- बोधी एवं मंथन- कविता का उदय डाॅ. अचल भारतीवरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार

साधारणतया  अनुभूति के स्तर पर आदमी और उसके संसार की दोषपूर्ण व्यवस्था तथा उसके तत्संबंधित क्रिया- कलापों एवं यथास्थैतिक सुख- दु:ख जनित संबंधों आदि को, समकाल में उद्घाटित करने की विशिष्ट पद्यात्मक शब्द- कला ही समकालीन कविता है | इस…

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