”होली है” श्रीमती रानी शर्मा साहित्यकार समाजसेवी कांकेर छ.ग.
”होली है” डाल-डाल फूले पलाश। पीत रंग रंगे धरती,आया मधुमास। आम्रकुंज कोयल कूके। कलियन कलियन भौंरा करे गुंजार। महुआ की मादकता बहकाये तन मन किंशुकी दहकाये वन,याद आये साजन। आया प्यार भरा होली का त्योहार। लाया खुशियों का बौछार। कर…
‘होली है’ श्रीमती रानी शर्मा समाजसेवी,साहित्यकार कांकेर छ.ग.
‘होली है’ होली है भई होली है। दिलों में उमंगो की मस्ती छाई । नगाड़ों की थाप पर,गीतों की लय पर, मतवाला मन थिरक-थिरक जाए। होली है भई होली है। भूल कर भेद-भाव,एक दूजे को मल रहे गुलाल। दूर हुए…