DIVYA DRISHTI MADHURI KAR RAIPUR

”दिव्य दृष्टि” श्रीमती माधुरी कर वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर छत्तीसगढ

पांच साल की जब मैं हुयी। मेरे पिता(श्री गौरीशंकर पंडा) ने अपने नाम की वर्णमाला थमाई। सोलह साल होते-होते कंठस्त हुई पढ़ाई। राम जैसा पति मिला। कई बार अग्नि परीक्षा से गुजरती रही। पहले तो भाई पर शक था, अब…

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