GANGA ME SNAN KUCH PRATIGYA BHI YA YU HI MANOJ JAISWAL

‘गंगा में स्नान कुछ प्रतिज्ञा भी या यूं ही’मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.

कितने लोग होंगे जो निश्चित रूप से गंगा में स्नान करते हुए यह प्रतिज्ञा लेते होंगे कि माता आज से मैं अपने शरीर के साथ मन,वचन और कर्म को भी गंगा जल की तरह निर्मल रखूंगा। जीवन पथ पर मैं…

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