”इन्तजार संस्कृति का”डाॅ.अचल भारती वरिष्ठ साहित्यकार बांका,बिहार
”इन्तजार संस्कृति का” जब विचार तंग सीमा के पार खुसबूॅं की तरह फैलने लग जाएं हवाओं में दिशाओं में और मस्तिष्क की तमाम खाइयों को पाट उर्वर भूमी की तरह उगानें लगें मानवता की फसलें आदमी की नस्लें समझो फिर…