मां अन्नपूर्णा के दिए प्रसाद का अपमान क्यों?(मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.)
इसे उनकी बेशर्मीयत कहें, आदत से लाचार कहें या अंतस से हम कोसते रहें कि जो शिक्षित साभ्रांत होने का दंभ भरते हैं और कईयों तो आज के सोशल मीडिया पटल पर पढते और चिंता जताते दूसरों को नसीहतें…