‘पार्टी विशेष साहित्यकार कहलाने पर गुरेज नहीं’ (मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.)
स्व-विवेक चिंतन मनन, बयान और अब तो स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी मिलावट से युक्त होती जा रही,ऐसा लगता है। सियासी क्षेत्र में तो अपने लीडर की बातों,बयानों के साथ चलना पड़ता है। यह इनकी मजबूरी है कि किसी की अभिव्यक्ति में…