(मनोज जायसवाल)
प्रत्येक समाज आज तलाक यानि दाम्पत्य जीवन के संबंध विच्छेद जैसे प्रकरणों से जूझ रहा है। विडंबना कहें, या मजबूरी! कि जिन दो परिवारों का पुत्र-पुत्रियों में अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते,सात वचन निभायी जाने की कसमें खायी गयी, महज पखवाड़े भर तो कोई पांच दिनों में तब जब इन नव विवाहिताओं की हाथों की मेंहदी का रंग फीका नहीं हुआ था, दरार आते देखा जा सकता हैं।
निर्णय छोड़ रहे दोनों परिवारों पर
आधुनिक दौर में युगलों के बीच कब,किस बात को लेकर नाराजगी बढ़ जाए व एक तुच्छ सी बातों को लेकर बात संबंध विच्छेद तक की जाएगी नहीं कहा जा सकता। समाज में लगातार आ रहे इस प्रकार के प्रकरणों की भयावहता देख कई नजदीकी परिजन भी अब किसी पक्ष में रिश्ते स्थापित किये जाने के निर्णय पर अपना पक्ष रखने से बचते दिखायी दे रहे हैं,ताकि वे किसी बदनामी से बच सकें, जहां इस संबंध में बात दोनों परिवार लड़का-लड़की पर छोड़ रहे हैं।
”तलाक” के बाद की स्थिति
तलाक पूर्व जितना तकलीफ ससुराल में लड़की को ना मिली हो, कई दफा यह देखने आ रहा है कि तलाक का दंश वह भोग रही होती है। परिवार के लिए तकलीफ देह तो अलग पर लड़की के मनोमस्तिष्क पटल से उनके साथ बीती बातें उन्हें सालते हुए दूर जाने का नाम नहीं ले रही। हालांकि ऐसी बात नहीं कि सबके साथ ऐसा हो और एकाकी जीवन व्यतीत करना पडे। कई लोगों का उनके मन की कद्र करने वाला जीवनसाथी मिलने के चलते नये पायदान में कदम भी यानि पुर्नविवाह समाज में होता आया है।
लड़की की स्थिति
समाज में उचित जीवनसाथी नहीं मिल पाने के चलते कई लड़कियां उम्रदराज हो चुकी है। ये ही प्रारंभिक दौर में उच्च महात्वाकांक्षा हो या कुछ अन्य कारण। लेकिन अंतिम समय तक अपनी महात्वाकांक्षा पर समझौता करने राजी होने पर भी इनके घरों तक रिश्ते नहीं टकराने पर अपने में हीन भावना से ग्रसित होती है। तो बात आज तलाकशुदा,परित्यक्ता स्त्रियों की तो स्थिति और भी इनसे बदतर है।
‘घुटनभरी यात्रा’ और कुछ नहीं
विवाह उपरांत जरा सा भी तकलीफ नहीं सह पाने वाली स्त्रियां महज कुछ बातों को लेकर अपने मायके तक बातों को शेयर करती है,जिसे मायके पक्ष एवं परिजन उक्त तकलीफ को किसी भी तरह सहन नहीं किये जाने की बात लड़की को कहते लड़की के कही बातों पर ही साथ दिया जाता है।
यह वह समय होता है जब लोग लड़के पक्ष से कोई बात सुनना पसंद नहीं करते। उन्हें इस बात से भी शायद सरोकार नहीं कि सबंध तो विच्छेद हो जाएगा, लेकिन मायके बैठी लड़की को कितना सम्मान मिलेगा? समाज में तलाकशुदा लड़की पर उंगली तो इनके पुर्नविवाह होने के बाद भी उठ रही होती है। पुर्नविवाह भी सबके साथ नहीं।
सामाजिक सरोकार में हमें यह भी पता चला कि कई प्रकरण में लड़की के ससुराल जाने पर उनके मन के नकारात्मक बातों पर दूसरे लोग सहयोग प्रदान करते उस दिशा में बातें करते देखे जाते हैं। मसलन तुम्हें लड़के के मां-पिता का क्या! गांव में रहने से अच्छा है,बाहर रहो। नौकरी है, जीवन का आनंद लो। कभी-कभी लड़की ठान लिए रहती है कि उन्हें तो अपने विचारों के अनुसार ही बसर करना है। आधुनिक काल है आधुनिकता के साथ उन्हें पति को चलाना है,जहां लड़के के माता-पिता का कोई कद्र नहीं। लडकी की बातों का पालन यदि लडका करे तो ठीक वरना तलाक। फिर तलाक में बहुत सारे वो बिंदु जो कोई लड़का सोचा ना हो।
‘उठती उंगलियां’
कई स्त्रियां जो सुनी मांगों के साथ सुनी घुटनभरी एकाकी जीवन गुजार रही है। जीवन बसर के नाम तकलीफ ना भी सही पर सम्मान के नाम जिंदगी भर की घुटनभरी यात्रा उन्हें साल रही होती है। जो परिजन विवाह पूर्व बड़े स्नेह के साथे सरोकार रखते थे,अब वे कईयों के उंगलियों पर आ चुकी होती है। बहुत तकलीफ के साथ स्थिति देखते लिखना पड़ रहा है कि कुल मिलाकर कई जगह तलाकशुदा स्त्री की स्थिति विधवा महिला की जिंदगी सदृश्य हो गई है।
तलाक के तल्ख कारण को देखते अब विवाह पूर्व ही सारी बातें कर ली जाय जिसमें विवाह के बाद अपने सास-ससुर लडके एवं उनके परिवार के साथ रहकर चलना है। सिर्फ लडके को ही लेकर चलना है तो उसकी भी बातें करे। कई लड़के जो बेरोजगार है नौकरीपेशा लड़की से शादी कर लेते हैं,विवाह पूर्व उनकी शर्तों को मानने तैयार रहते हैं,जब शादी हो जाती है तो उनका स्वाभिमान जाग उठता है,जब स्वाभिमान जाग उठता है, तब बात तलाक को जाती है,वरन जो सिर झुका कर लड़की के कहे अनुसार चलता है उनकी गृहस्थी लंबी खींचती है।
क्या कहती है,महिलाएं…
विवाहोपरांत अल्पावधि में समाज में तलाक ले रही लड़कियों के तारतम्य हम स्वयं दाम्पत्य जीवन निर्वहन कर रही कई महिलाओं से मुखातिब हुए जहां अमूमन लोगों का यह विचार उनके नाम प्रकाशित नहीं किये जाने की शर्त पर बताया गया कि कुछ ना कुछ प्रताड़ित तो पूर्व में भी महिलाएं होती आयी है। कुछ परेशानियां सहनी भी पडती है। वर्तमान में भी समझदार महिलाएं बहुत कुछ परिवार की खातिर सहन करती है,लेकिन बाद में अच्छी स्थितियों के साथ जीते हैं।
…..क्रमशः आगे भाग 3