तुम्हारी उम्र लंबी‚ऐसा क्यों कहते हैं लोगॽ श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

साहित्यकार परिचय
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
जन्म-01 मई 1973 अरौद(कांकेर)
शिक्षा-बीएससी(बायो)एम.ए.(हिन्दी साहित्य)
कार्य- पत्रकारिता, संपादक सशक्त हस्ताक्षर। व्यवसाय एवं कृषि कार्य।
प्रकाशन-राष्ट्रीय साझा काव्य संकलन पंखुड़ियां, यादों की शमां‚ कलम की अभिलाषा (साझा काव्य संग्रह) दैनिक समाचार पत्र अग्रदुत,नवभारत,छालीवुड की पत्रिका ग्लैमर में कला प्रतिनिधि के रूप में आलेखों का प्रकाशन, साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित पोर्टल सशक्त हस्ताक्षर में नियमित आलेख का प्रकाशन।
पुरस्कार-सम्मान – छत्तीसगढ़ शासन के मंत्रीगणों द्वारा सम्मान, महात्मा ज्योतिबा फुले सम्मान, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ द्वारा सम्मान। कलमकार साहित्य साधना सम्मान 2022 छत्तीसगढ़ कलमकार मंच, मस्तुरी बिलासपुर द्वारा प्रदत्त। छ.ग. डंडसेना कलार समाज द्वारा सम्मान। साहित्य सौरभ सम्मान–2023 बिलासपुर संभाग के मुंगेली जिलान्तर्गत पावन अमरटापू धाम में 26 नवंबर संविधान दिवस अवसर पर।
संप्रति-वरिष्ठ पत्रकार,जिलाध्यक्ष-अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति,इकाई–कांकेर (छ.ग.)
सम्पर्क-राष्ट्रीय राजमार्ग 30 मेन रोड लखनपुरी(छ.ग.)
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
जन्म-01 मई 1973 अरौद(कांकेर)
शिक्षा-बीएससी(बायो)एम.ए.(हिन्दी साहित्य)
कार्य- पत्रकारिता, संपादक सशक्त हस्ताक्षर। व्यवसाय एवं कृषि कार्य।
प्रकाशन-राष्ट्रीय साझा काव्य संकलन पंखुड़ियां, यादों की शमां‚ कलम की अभिलाषा (साझा काव्य संग्रह) दैनिक समाचार पत्र अग्रदुत,नवभारत,छालीवुड की पत्रिका ग्लैमर में कला प्रतिनिधि के रूप में आलेखों का प्रकाशन, साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित पोर्टल सशक्त हस्ताक्षर में नियमित आलेख का प्रकाशन।
पुरस्कार-सम्मान – छत्तीसगढ़ शासन के मंत्रीगणों द्वारा सम्मान, महात्मा ज्योतिबा फुले सम्मान, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ द्वारा सम्मान। कलमकार साहित्य साधना सम्मान 2022 छत्तीसगढ़ कलमकार मंच, मस्तुरी बिलासपुर द्वारा प्रदत्त। छ.ग. डंडसेना कलार समाज द्वारा सम्मान। साहित्य सौरभ सम्मान–2023 बिलासपुर संभाग के मुंगेली जिलान्तर्गत पावन अमरटापू धाम में 26 नवंबर संविधान दिवस अवसर पर।
संप्रति-वरिष्ठ पत्रकार,जिलाध्यक्ष-अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति,इकाई–कांकेर (छ.ग.)
सम्पर्क-राष्ट्रीय राजमार्ग 30 मेन रोड लखनपुरी(छ.ग.)
प्रधान संपादक
‘सशक्त हस्ताक्षर’,छत्तीसगढ
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
मो. 9425593857/7693093857
ई मेल- jaiswal073@gmail.com
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
मो. 9425593857/7693093857
ई मेल- jaiswal073@gmail.com
तुम्हारी उम्र लंबी‚ऐसा क्यों कहते हैं लोगॽ
– इत्तफाक के इस रहस्य पर पर्दा उठना बाकी।
मैं सोचता हूं, याद करने में भी काफी शक्ति है। अब भी आप बोलोगे मनोज कुछ भी लिखता है। आप माने या ना मानें लेकिन कुछ हद तक बात सही हो सकती है। जब हम किसी के विषय में बात कर रहे हों और उनका फोन काल आ जाए! अमूमन ऐसा इत्तफाक तो है,लेकिन सबसे पहले आप हलो बोलने से पहले तुम्हारी उम्र काफी है, बोलते हो।
यह इत्तफाक ऐसे ही नहीं होता। कभी आंख फडकने पर, कभी पैर के तलुओं में खुजली होने पर तो कभी घरों में कुछ होने वाली घटनाओं के चलते जिस क्षेत्र में जिस वक्त आप काम पर लगे होते हैं,जिसके बिगडते ही उससे जुडा बोध होता है। जिनके घरों में,जिनके नगर में कोई आयोजन हो और आपके अपने से ही वर्तमान में मधुरता कायम ना हो तब भी अन्तस में यादें स्मृति पटल में बनी रहती है।
एकबारगी भले ही आप छोडिये इन बातों को कह कर टाल दें लेकिन अदृश्य उन तंतुओं का यह कैसा जुडाव है कि किसी न किसी दृश्यों के माध्यम याद दिलाते हैं। इन बातों के तारतम्य आपका किसी से जरूर द्वेश हो लेकिन जरूरी नहीं कि आपके किसी अपने में भी द्वेश भाव रहे यह जरूरी नहीं है।
एकबारगी भले ही आप छोडिये इन बातों को कह कर टाल दें लेकिन अदृश्य उन तंतुओं का यह कैसा जुडाव है कि किसी न किसी दृश्यों के माध्यम याद दिलाते हैं। इन बातों के तारतम्य आपका किसी से जरूर द्वेश हो लेकिन जरूरी नहीं कि आपके किसी अपने में भी द्वेश भाव रहे यह जरूरी नहीं है।
जिसे आज इत्तफाक माना जाता है,वो आज से कुछ दशक पहले पूर्ण सत्य माना जाता था। आज मोबाईल का युग लेकिन अतीत की सत्यता मनुष्यों के साथ पशु पक्षियों में सुचना का यह कैसा अप्रतिम क्रियाकलाप। जिस पर आज तक पर्दा नहीं उठा।
शिरडी के साई बाबा सीरियल में श्रीसाई को भक्तों द्वारा की गई याद उन तक पहूंच जाती। यदि इन बातों को मान लिया जाय कि जब मानव समुदाय में किसी को याद करने से जरूर सुक्ष्म उपस्थिति के साथ हमारी बातें उस अदृश्य तारों के माध्यम संचार होती है,तो निश्चित ही यह मान लिया जाना चाहिए कि ईश्वर की भक्ति की प्रार्थना जरूर उस शक्ति के पास जाती होगी।
शिरडी के साई बाबा सीरियल में श्रीसाई को भक्तों द्वारा की गई याद उन तक पहूंच जाती। यदि इन बातों को मान लिया जाय कि जब मानव समुदाय में किसी को याद करने से जरूर सुक्ष्म उपस्थिति के साथ हमारी बातें उस अदृश्य तारों के माध्यम संचार होती है,तो निश्चित ही यह मान लिया जाना चाहिए कि ईश्वर की भक्ति की प्रार्थना जरूर उस शक्ति के पास जाती होगी।
चिन्तन कीजिए, दिल से मानिये,दिल से कलम चलाईये सकारात्मक ध्वेय का फल शायद आपके प्रति भी सकारात्मक पहलूओं में किसी न किसी मोड पर मिले।