”वैवाहिक सालगिरह” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर‚ कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

वैवाहिक सालगिरह
-आज ही के दिन हुआ था पाणिग्रहण..देर रात्रि दिखा था ध्रुव तारा
हिंदु धर्म में विवाह एक महती पवित्र संस्कार होता है। विवाह के ही संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण संस्कार पाणिग्रहण का होता है,जिसमें वर के कंधे पर पड़े सफेद दुपट्टे मे वधु की साड़ी का पल्लू बांध दिया जाता है,इसे ही गठबंधन कहा जाता है। विवाह अवसर पर कन्या की साड़ी की पल्लू और वर के फेंटा धोती या दुपट्टे में अक्षत सुपाड़ी,फुल,सिक्का,दूर्वा पांच चीजें रखकर जो गांठ बांधा जाता है, जीवन में इन पांच चीजों का खासा महत्व है। ऐसे ही गांठ न बांधे जाते न खोले जाते। कन्या अपनी साड़ी में सामने की भाग पर अक्षत यानि हल्दी से रंगे चावल लटकाये होती है,जो वर पक्ष के यहां विवाह संपन्न होते समय सात फेरों के समय भी दिखायी देता है।
यह भगवान राम के काल से चली आ रही है,सीरियल में भी आपने देखा होगा कि राम सीता की जोड़ी विवाह के समय कैसे दुपट्टा साड़ी बांध दिया जाता है।इसी से मान लिया जाता है कि अब एक दूसरे के साथ जुड़ चुके हैं। इसी पल्लू में जहां बांधा जाता है सिक्का,चावल,पुष्प,हल्दी भी रख कर बांधा जाता है।
सिक्का जहां धनधान्य का प्रतीक जिसमें दोनों का अधिकार होता है वहीं पुष्प खुशहाली का,हल्दी आरोग्य का प्रतीक है। चावल जिसे अक्षत कहा जाता है इससे संपूर्ण आयु की प्राप्ति और किसी भी चीज की कमी नहीं होना अक्षत का संकेत है।इस तरह पांच वस्तुओं के गठबंधन से एक दूसरे के प्रति अटूट प्रेम और आत्मीयता बने होने की बात कही जाती है। सच कहें तो वधु पक्ष के यहां पाणिग्रहण ही असल में विवाह है।
इसके बाद वधू वर पक्ष के यहां संपूर्ण बारातियों के साथ आती है,जहां वर पक्ष के यहां रिसेप्शन का आयोजन होता है,जो विवाह की खुशी के मौके पर समाज एवं आमजनों को पूरे सम्मान के साथ आवभगत करते भोजन कराया जाता है।आज हमारी शादी की भी सालगिरह है। अर्जुनी,धमतरी(छ.ग.) में आज के दिन हम भी गठबंधन में बंधे थे।