Homepageकविता‘व्याख्यान’ डॉ. विजय पंजवानी, साहित्यकार, समाजसेवी धमतरी(छ.ग.) कविता काव्य देश ‘व्याख्यान’ डॉ. विजय पंजवानी, साहित्यकार, समाजसेवी धमतरी(छ.ग.) Manoj Jaiswal Posted on February 22, 2024 ‘व्याख्यान’ ये जो इतराते हैं अपनी उपब्धियों पर काश….. उन्हें मालूम हो जाए कि यह सब कितना क्षण भंगुर है…. और यह जो मैं व्याख्यान सा दे रहा हूं व्यास पीठ पर बैठकर… काश मुझे भी भान हो जाए कि यह सब कितना मूर्खतापूर्ण है। Manoj Jaiswal View all posts Post navigation Previous Post”नैना धाकड रानी माँ गाइदिन्ल्यू पुरुस्कार से नागपुर में अलंकृत” Next Post”झोपड़ी” कु. माधुरी मारकंडे साहित्यकार‚धमतरी(छ.ग.) You Might Also Like आलेख ”विच्छेद का निर्णय नहीं आसां” मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.) Manoj Jaiswal August 8, 2023 कविता ”जीवन अपना राज बता दे” मीरा आर्ची चौहान शिक्षिका साहित्यकार कांकेर छ.ग. Manoj Jaiswal November 25, 2022 कविता ”करवा चौथ” श्री पवन नयन जायसवाल वरिष्ठ साहित्यकार अमरावती‚विदर्भ(महाराष्ट्र) Manoj Jaiswal October 31, 2023 देश ”मुर्ख बनाने के एवज में रिश्ते गंवाते लोग” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.) Manoj Jaiswal March 31, 2024
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