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चारामाःबस्तर का प्रथम नगर, अनेकानेक विषयों में आज भी प्रथम

 (मनोज जायसवाल)
आधुनिक भारत के प्रणेता एवं संचार क्रांति के जनक तब देश के तात्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का चारामा नगर आगमन हुआ था। यादों को समेटे अतीत के ये चित्र हमें जीवंतता का अहसास कराते हैं।

चारामा के इस एकमात्र हायरसेकेण्डरी आदर्श स्कूल में श्रीशुक्ला जी प्राचार्य हुआ करते थे। देश की आजादी के बाद स्थापित इस स्कूल की भौतिक नींव के साथ ही शिक्षा क्षेत्र की नींव भी उतना ही मजबूत है,कि इस स्कूल में आज भी उसी सीमेंट एस्बेस्टास शीट लगे कमरे में अध्ययनरत हैं। इस स्कूल में अध्ययन करने वाले कई छात्र देश में विभीन्न क्षेत्रों में,प्रशासनिक क्षेत्रों में, रक्षा के क्षेत्र में सेवा दे रहे हैं।

शाला परिसर का महुआ का पेड़ आज भी गवाही देते खडा है, जिसके छांव में तब के छात्र बारिश होने पर ठहरा करते थे। अतीत में तब नगर का इतना विकास नहीं हुआ था। एकमात्र चलचित्र प्रदर्शनी का केंद्र था,जहां मनोरंजन के लिए लोग जाया करते थे। बुकिंग इतना कि टिकट भी न मिले।

इससे पूर्व बाजार क्षेत्र में टूरिंग टाकिज हुआ करता था। टूरिंग टाकिज का यह वही दौर था, जहां नगर में दुर्गाेत्सव के लिए भी इतनी भींड़ होती थी, वह स्वर्णिम दशक की भींड आज तक कभी दिखायी नहीं दिया। आज भीड यदि कभी दिखायी देती है तो सियासी आंदोलनों की या वार्षिक मेले की।

छत्तीसगढ़ की प्रमुख व एकमात्र लोकनाट्य सांस्कृतिक संस्था चंदैनी गोंदा चिटिक अंजोरी के बीच खिलती और लोग कायल होकर इस आयोजन का आनंद लेते। भले ही सदर मार्ग आज जैसा नहीं था,पर अहम पर्वों पर लोगों की उत्सुकता भरी भींड़ अहसास करा देता कि अंचल में त्यौहार का माहौल है।

कितनी बारिश हो या अंधेरी रात! जज्बा इस कदर था कि चारामा की कीर्ति दूर-दूर तक होती थी। सियासी जगत में जब भी कोई जनप्रतिनिधी नेताओं का आगमन होता तो वह बालक स्कूल होता था। बालक हायर सेकेण्डरी स्कूल तब आदर्श स्कूल के नाम से विख्यात था। पढ़ाई में अपितु नियम कायदों के चलते यहां अध्ययनरत छात्र स्वमेव यहां के आदर्श नियमों का पालन किया करते थे।

लेकिन आज चारामा के नाम पर उस स्वर्णिम अतीत को भूला दिए हैं। पर वक्त के अनुसार आज चारामा सियासी आगाज का प्रमुख केंद्र पालिटिकल नगरी के रूप में पहचान बना पाया है। सामाजिक सत्ता से लेकर सियासी गलियारों तक चारामा का नाम है। बस्तर संभाग का यह प्रवेश द्वार प्रथम नगर अपितु यह प्रथम नगर अनेकानेक विषयों में भी प्रथम है। प्रदेश में सत्ता का रास्ता चारामा से होकर कूच करता है।

चारामा के इस ऐतिहासिक बालक हायर सेकेण्डरी स्कूल जहां कई गुरूजनों ने शिष्यों को देश के सेवा के काबिल बनाया। इस दौर में कई ऐसे गुरूजन जो आज इस दुनिया में नहीं है‚उन्हें सादर नमन करते हैं।

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